पुलिस ने टॉर्चर करके झूठा जुर्म कबूल करवा लिया
झूठे मर्डर में फंसाकर दो युवकों की जिंदगी तबाह
वैसे तो मीडिया में अक्सर पुलिस के अत्याचार के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। भारत देश में तो ऐसे भी कई मामले मीडिया में आ जाते हैं, जिसमें पुलिस की पिटाई से किसी की मृत्यु हो जाती हैं। कई बार जबरदस्ती लोगों को झूठे मामले में फंसा दिया जाता हैं। किसी पर नशे का झूठा मामला दर्ज कर दिया जाता हैं। किसी व्यक्ति को रेप के झूठे मामले में फंसा दिया जाता हैं। देश में ऐसे बहुत से उदारहण मौजूद हैं। यह सब आम लोगों में डर का मौहाल पैदा करता हैं। सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार के कारण ऐसे झूठे मामलों में बहुत ही कम पीड़ितों को न्याय मिल पाता हैं। देश में भ्रष्ट पुलिस कर्मियों के कारण निर्दोष लोगों को भी कई सालों तक जेल में सज़ा भुगतनी पड़ती हैं। कई मामले तो ऐसे भी समाने आते हैं, जिसमें किसी मामले में फंसा देने का डर दिखा कर पुलिस वाले मोटी रकम ले लेते हैं। कई बार तो पुलिस सिर्फ शंका के तहत निर्दोष व्यक्ति को उठा कर ले जाती हैं। फिर उस व्यक्ति को नाजायज तौर पर पुलिस थाने में ले जाकर बुरी तरह से पीटा जाता हैं। हैरानी वाली बात यह हैं कि बिना किसी अपराध के पुलिस वाले थर्ड डिग्री टॉर्चर भी देते हैं। परिवार को नुकसान पहुँचाने का डर दिखाकर खाली पेपर पर साइन करवा लिये जाते हैं। एक ऐसा ही केस दौसा में भी सामने आया है, जिसमें पत्नी के झूठे मर्डर में फंसाकर दो युवकों की जिंदगी तबाह हो गई। इन युवकों के साथ जो हुआ, वह पुलिस सिस्टम पर कई तरह के सवाल पैदा करता हैं। इन युवकों ने जो अपराध नहीं किया, उसकी सजा मिली। अभी भी इन युवकों को झूठे मामले से झुटकारा नहीं मिला। मीडिया से मिली जानकारी मुताबिक झूठे मामले में जेल भेजे गये इन युवकों को हाल ही में जमानत मिली हुई हैं। अब बात करते हैं, इस मामले की।
यह भयभीत कर देने वाला मामला हैं दौसा के मेहंदीपुर बालाजी के रहने वाले गोपाल और सोनू नामक युवकों का हैं। आगे देखते हैं झूठे केस में इन युवाओं और परिवार ने क्या-क्या भुगता है। मीडिया में प्रकाशित खबरों के मुताबिक झूठे मामले के पीड़ित सोनू सैनी ने बताया कि उसने 8 सितंबर 2015 को वृंदावन की रहने वाली आरती से शादी की थी। वह गोपाल सैनी पर डिपेंड था। महिला 8 दिन बाद ही उसे छोड़ गई और उसने 2015 में ही दूसरी शादी कर ली थी। इस सब के चलते गोपाल ने मीडिया को बताया महिला के पिता सूरज प्रसाद ने 25 सितंबर 2015 को बेटी के गुमशुदा होने की रिपोर्ट वृंदावन कोतवाली में दर्ज कराई थी। इसके बाद मथुरा की मगोर्रा नहर में एक महिला का शव मिला था। जिसके बाद 16 मार्च 2016 को हत्या के मामले में दोनों को यूपी पुलिस ने दोनों को मेहंदीपुर बालाजी से गिरफ्तार कर लिया। गोपाल ने यह भी बताया कि मर्डर के झूठे मामले का दंश पूरे परिवार ने झेला है। जिस दिन गिरफ्तारी हुई उसके 14 दिन बाद ही मेरी शादी थी। लड़की वालों ने रिश्ता तोड़ दिया। महिला की हत्या करने का ठप्पा लग गया था। समाज ने हमारे परिवार का बहिष्कार कर दिया। मेरी शादी तो टूटी जो टूटी अब तक मेरे छोटे भाइयों की भी शादी नहीं हुई है। कोई भी हमारे परिवार में बेटी नहीं ब्याहना चाहता। उसने बताया कि उनसे पुलिस ने जबरन जुर्म कबूल कराया। कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते-काटते पूरा परिवार कर्ज के बोझ तले दब गया। परिवार पर करीब 20 लाख रुपए का कर्ज हो गया। जिसे चुका नहीं पाए हैं। पीड़ित गोपाल ने बताया कि गिरफ्तारी के करीब नौ महीने बाद दिसंबर 2016 को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली। वहीं, सोनू को भी जुलाई 2017 में कोर्ट से जमानत मिली।
अदालत से जमानत मिलने के बाद गांव में आने के करीब चार साल बाद साल 2021 में किसी तरह आरती के जिंदा होने की जानकारी मिली। विशाला गांव के ही एक व्यक्ति ने बताया आरती नाम की महिला उसके गांव में है, जो करीब चार साल से रह रही है। गोपाल और सोनू के लिये यह एक चमत्कार की तरह था। आरती जिंदा है ? इस के बारे में कन्फर्म करना जरुरी था। इसके लिये एक योजना बनाई गई। गोपाल ने बताया कि एक जासूस की तरह वह और सोनू ऊंट के खरीदार बनकर विशाला गांव पहुंचे। गांव के व्यक्ति से ऊंट खरीदने को लेकर बात की। किसी को शक ना हो इस के लिये 500 रुपए पेशगी भी दी। लेकिन उस समय आरती को लेकर कोई पुख्ता जानकारी हाथ नहीं लगी। उसने बताया कि मज़बूरी ने उनको एक जासूस बना दिया था। इसके बाद वह विशाला गांव में सब्जी बेचने लगे। गांव में सब्जी बेचने के समय आरती दिखाई दी। अब आरती के जिन्दा होने का शक पक्का हो गया था। लेकिन आरती को पकड़ने के लिये दस्तावेज भी चाहिए थे, जिन्हें सबूत के तौर पर पेश किया जा सके।
गोपाल ने बताया कि आरती के दस्तावेज के लिए वह लोग ई-मित्र संचालक भी बने। इस के चलते उसके घर गए और परिवार वालों को विश्वास में लिया। उन लोगों ने परिवार को बताया कि सरकारी स्कीम से शौचालय के लिए 2 लाख रुपए दिए जा रहे हैं। आरती और उसका परिवार हमारे झांसे में आ गया। इस के कारण आरती के सारे दस्तावेज हमें मिल गए। गोपाल का कहना है कि उसके बाद ये पक्का हो गया कि ये महिला ही आरती है। इसके बाद मेहंदीपुर बालाजी पुलिस थाना के अधिकारी से संपर्क किया। उनको सारी जानकारी दी, बाद में थाना प्रभारी ने यूपी की स्पेशल टीम को इस बारे में सूचना दी। आरती (37) को शनिवार को मेहंदीपुर थाना पुलिस ने विशाला गांव से डिटेन कर उत्तरप्रदेश से आई एसटीएफ के हवाले कर दिया था। सोनू और गोपाल जमानत पर हैं, आरती के जिंदा मिलने के बाद भी अभी वे निर्दोष साबित नहीं हुए हैं। महिला का डीएनए टेस्ट होगा। इसके बाद शिनाख्त होगी। सबूत और दस्तावेज पेश करने की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद दोषमुक्त करार दिया जा सकता है।
दूसरी तरफ पूरे मामले की सच्चाई सामने आने के बाद यूपी पुलिस ने आरती के पिता सूरजप्रसाद गुप्ता को हिरासत में ले लिया है। पिता के साथ पूछताछ के लिए आरती की मां उर्मिला देवी और उसके भाई को भी पुलिस थाने ले आई। इस दौरान जब पुलिस ने तीनों से आरती की पहचान करने के लिए कहा तो आरती की मां और भाई ने तो उसकी पहचान आरती के रूप में कर ली। लेकिन आरती के पिता सूरज प्रसाद ने आरती को अपनी बेटी मानने से इंकार कर दिया। पुलिस ने उसका डीएनए टेस्ट करने के लिए कहा तो उससे आरती की पहचान अपनी बेटी के रूप में कर ली।
सोनू और गोपाल ने भावुक होते हुये यूपी पुलिस के थर्ड डिग्री टॉर्चर की दास्तान सुनाई। उन्होंने बताया वृंदावन कोतवाली थाने ले जाकर दोनों को एक कमरे में बंद कर दिया। हम दोनों से बार-बार यही सवाल किया जाता कि आरती को किसने मारा। हम यही कहते कि हमने नहीं मारा। फिर दोनों को अलग-अलग बैरकों में बंद कर दिया जाता। उसके बाद हमें बुरी तरह पीटा जाता। पुलिस किसी भी तरह हमसे जुर्म कबूल कराने पर तुली थी। हमारे पैरों में डंडे फंसाकर उल्टा लटकाया गया। पुलिस ने प्लास से सोनू की दो उंगलियों के नाखून उखाड़ दिये। इस सब के चलते गोपाल कि उंगलियां मरोड़ दीं। पुलिस कर्मियों ने दोनों को रिमांड का डर दिखाया और एनकाउंटर में खत्म कर देने की धमकियां दी। पुलिस के खतरनाक टॉर्चर और एनकाउंटर की धमकी से सोनू बुरी तरह डर गया। जिसके बाद उसने आरती की हत्या करना कबूल कर लिया। इस के बाद पुलिस ने कई जगह उनके साइन करवाये। गोपाल ने भी पुलिस के डर से सोनू की हां में हां मिला दी। इसके बाद कोर्ट और फिर जेल भेज दिया गया।
गोपाल और सोनू के बारे में सच सामने आ गया। असल में अब कई सवाल पैदा होते हैं ?
- पुलिस के बिश्वसनिक नाम पर यह कंलक नहीं होगा हैं ?
- हत्या के झूठे मामले की पूछताछ के नाम पर थर्ड डिग्री टॉर्चर का भुगतान कौन करेगा ?
- हत्या के झूठे मामले में पुरे परिवार जो यातना झेली उसका क्या होगा ?
- इस मामले में जो मान सम्मान खतम हुआ उसका भुगतान कौन करेगा ?
- ज़िन्दगी के वो पल जो जेल में गुजारने पड़े उसका भुगतान कौन करेगा ?
- क्या पुलिस का यही काम हैं, किसी को भी दोषी बना दे ?
- इस झूठे मामले के कारण परिवार पर चढ़े कर्ज का भुगतान कौन देगा ?
- पुलिस के झूठे मामले के कारण भाई बहन की शादी नहीं हुई ?
क्या यह गाँधी का देश भारत हैं ? अगर हम सही ढंग से छानबीन करे तो ऐसे बहुत से मामले सामने आ सकते हैं। देश की मानव अधिकार संस्था के अलावा अन्य समाज सेवी संस्थाओं को इस पर काम करना चाहिये।