डिजिटल अरेस्ट रूपी खौफनाक राक्षस का शिकार
आज कल मीडिया में डिजिटल अरेस्ट किये जाने की हैडलाइन देखने को मिल रही है। क्या टीवी चैनल क्या समाचार पत्र हर जगह डिजिटल अरेस्ट किये जाने की खबरें ही देखती है। ऐसा नहीं डिजिटल अरेस्ट रूपी राक्षस का शिकार गरीब लोग हो रहे है। हैरानीजनक तो यह है कि डिजिटल अरेस्ट रूपी राक्षस का शिकार पढ़े लिखे लोग हो रहे है। डिजिटल अरेस्ट का ऐसा डर दिखाया जाता है कि पढ़े लिखे लोग उस माहौल में वेबस होकर लाखों करोड़ों रुपये की ठगी का शिकार हो जाते है। सब कुछ किसी फिल्म की तरह ही फिल्माया जाता है। ऐसे मामले बहुत हो रहे है। आसान भाषा में तह कह सकते है कि एक बाढ़ सी आ गई है। आये दिन लोगों के मेहनत की जमा रकम सिर्फ एक फोन कॉल से छीन ली जाती है। लोगों से ठगी करने का यह नया ट्रैंड चल पड़ा हैं। मीडिया में डिजिटल अरेस्ट के ऐसे-ऐसे मामले सुनने को मिलते है। आम जिंदगी में जब किसी पहचान वाले की मृत्यु होने पर भी कुछ समय नहीं बिश्वास होता और फिर दिलों-दिमाग में कई सवाल पैदा होते रहते है। डिजिटल अरेस्ट के मामलों में भी ऐसा ही होता है और यह सिर्फ ऐसे मामले मीडिया में छपी खबरों को पढ़ने या सुनने से ही होता है। जिस व्यक्ति को पर्दे के पीछे बैठे लोग (नौसरबाज़) डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाते हैं, कई-कई घंटे मानसिक यातना देते है। उस व्यक्ति से जब लाखों करोड़ों रुपये ठग लिये जाते हैं तो शायद उसकी स्थिति भी ऐसी ही होती होगी। ना तो ठगे जाने वाले व्यक्ति को काफी समय तक बिश्वास होता होगा और ना ही दिलों-दिमाग में पैदा हुए सवालों के जवाब मिल रहे होंगे।
हम इसे यूँ भी कह सकते है कि साइबर अपराधी लोगों से डिजिटल अरेस्ट के नाम पर अब आधुनिक तरीके से धोखाधड़ कर रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल करने का एक एडवांस तरीका है। इसमें अपराधी खुद को सीबीआई, कस्टम, प्रवर्तन निदेशालय, पुलिस विभाग, कोर्ट के अफसर बताकर लोगों से धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हैं। कई बार तो कूरियर कंपनी का अधिकारी बनकर ठगी की जाती है। हालंकि सच तो यही है कि डिजिटल अरेस्ट जैसी पुलिस की कोई प्रक्रिया ही नहीं होती। इसे लेकर पुलिस में कोई कानून भी नहीं है। फिर भी रोजाना लोगों को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर लाखों रूपये ठग लिये जाते हैं। कई मामलों में तो ठगे जाने वाली रकम करोड़ों में होती हैं। हाल ही में आईआईटी बॉम्बे के एक छात्र को डिजिटल अरेस्ट करके 7.29 लाख रुपये की ठगी की गई है। पर्दे के पीछे छिपे हुए ठग ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) का कर्मचारी बताते हुए उसे “डिजिटल अरेस्ट” के नाम पर डराकर 7.29 लाख की रकम वसूल ली। आईआईटी बॉम्बे का छात्र शिकार बन गया। इस पर कुछ समय तो बिश्वास नहीं होता, लेकिन यह सच हैं। मुंबई पुलिस ने मामला दर्ज किया है और मीडिया में समाचार प्रकाशित हुआ है। इस ठगबाज़ ने खुद को TRAI का कर्मचारी बताया और दावा किया कि उसके मोबाइल नंबर पर 17 अवैध गतिविधियों की शिकायतें दर्ज हैं। फिर इसी ठग ने नंबर बंद होने से बचाने के लिए पीड़ित को पुलिस से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लेने की बात कही। अबतक छात्र उसके ट्रैप में फंस चुका था। उसी पल कॉल साइबर क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर करने का नाटक किया। ताकि वह छात्र डर जाये और फोन ना काटे। फिर क्या छात्र को व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर एक व्यक्ति पुलिस वर्दी में दिखा। पुलिस वर्दी पहने व्यक्ति ने छात्र से आधार नंबर मांगा और उस पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया। ठग ने कार्रवाई का डर दिखाते हुये छात्र को 29,500 रुपये UPI के माध्यम से ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया। इतने से रुपयों से ठगों का मन कैसे मनाता। ठगों ने अगले दिन फिर से कॉल करके छात्र से और रूपये की मांग रख दी। उनकी बातों में फंसकर छात्र ने अपने बैंक खाते की जानकारी साझा कर दी। आईआईटी बॉम्बे का छात्र यहीं पर बड़ी गलती कर बैठा और ठगों ने उसके बैंक खाते से 7 लाख रुपये खाते से निकाल लिए।
इसी तरह के एक मामले में सोनीपत के सेवानिवृत्त अधिकारी को ठगों ने अपना शिकार बनाया। इन सेवानिवृत्त अधिकारी को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर 1.78 करोड़ रुपये ठग लिये गये। उनके मोबाइल पर कॉल आई। सेवानिवृत्त अधिकारी को कहा गया कि आपका नाम मनी लॉन्ड्रिंग ले मामले में आया है। आपके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया हैं। ठगों ने कहा कि आपके मोबाईल नंबर पर गिरफ्तारी वारंट की कॉपी भेजी गई थी। बस ठगों का काम हो चुका था। उनको गिरफ्तारी होने का डर दिखाकर उन्हें दो दिन होटल में रहने को मजबूर किया था। इसी के चलते छह दिन में अलग-अलग खातों में 1 करोड़ 78 लाख 55 हजार रूपये आरटीजीएस से डलवा लिए गए। अब पुलिस ठगों के मोबाइल नंबर व खातों को खंगाल रही हैं।
फरीदाबाद की एक निजी कंपनी में कार्यकारी सचिव को डिजिटल अरेस्ट करके 2.60 लाख रुपये ठग लिए। साइबर ठगों ने पीड़ित सचिव को उसके फोन नंबर से अश्लील फोटो, मैसेज और कई अन्य अपराधों में इस्तेमाल होने का डर दिखाया। ठगों ने उसे इतना डरा दिया कि पीड़ित ने अपने खाते से दो लाख 60 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिये। जो 24 घंटे में वापस खाते में आने का ठगों ने वादा किया था। लेकिन खाते में रुपये वापस नहीं आएं। तो जब निजी कंपनी में कार्यकारी सचिव को अपने साथ साइबर ठगी का अहसास हुआ तो साइबर पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई। उसकी शिकायत पर साइबर क्राइम पुलिस ने मामला दर्ज किया है। इस मामले की भी जांच की जा रही है।
18 नवंबर को हिमाचल प्रदेश के एक युवक को डिजिटल अरेस्ट कर शातिर ठग ने करीब साढ़े 17 लाख रुपये ठग लिए। इस साइबर ठग ने सीबीआई अफसर बनकर मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार करने का डर दिखाते हुए युवक को दो दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। शिकायत के आधार पर पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। युवक को एक अनजान नंबर से कॉल आती है। फोन कॉल करने वाले ने अपने आप को सीबीआई अफसर बताते ही युवक को मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार करने की धमकी दी। उसके घर जल्द ही दबिश देने की बात कही। दो दिन तक आरोपी ठग युवक को गिरफ्तारी का डर दिखाकर कॉल करता रहा। सीबीआई अफसर बने व्यक्ति ने कहा कि अब तक मामले में 200 लोग पकड़े जा चुके हैं और अब उसे भी गिरफ्तार किया जाएगा। गिरफ्तारी से बचना चाहते हो तो तुरंत पैसे खाते में डाल दो। गिरफ्तारी के डर से बचने के लिए युवक ने बैंक पहुंच कर आरोपी ठग के बताए खाते में साढ़े 17 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
साइबर ठग देश के किस कोने में बैठ कर आपसे ठगी कर रहा है। इसका किसी को नहीं पता। यह साइबर ठग अपनी जालसाजी से लोगों को धोखा देने में कामयाब हो रहे है। पुलिस अधिकारी लोगों को जागरूक कर रहे है। लोग फिर भी डिजिटल अरेस्ट के डर से अपना धन गवां रहे है। लेकिन यह भी सच है कि जरा सी सावधानी हम सबको डिजिटल अरेस्ट रूपी खौफनाक राक्षस का शिकार होने से बचा सकती है।