चाइनीज मांझा जानलेवा शिकारी बना
चाइनीज मांझे से लोग मारे जा रहे है
हमारे भारत देश में पतंग उड़ाने की पुरानी परंपरा रही है। प्राचीन ग्रंथो में भी पतंगबाजी का उल्लेख मिलता है। सदियों से भारत में पतंगें उड़ाई जा रही है। अभी भी देश में स्वतंत्रता दिवस, मकर संक्रांति, रक्षा बंधन और भैया दूज आदि पर्वों पर शौकीन लोग जुनून की हद तक पतंगबाजी में हिस्सा लेते है। पहले भी पतंग उड़ती थीं। पतंगें कटती भी थीं, कटी पतंग को लोग लूटते भी थे। आसमान में पतंगों के पेंच लड़ाने में खींचतान होती थीं। उस समय पतंग लूटते यदा-कदा हादसे भी हो जाया करते थे। पतंगबाजी में हिस्सा लेने वाले लोग उनकी पतंग ना कटे, इसके लिये सूती धागे का बढ़िया मांझा खरीदते थे। कई लोग स्वंय ही मांझा तैयार करते थे। बच्चे और बड़ी उम्र के लोग अपनी घरों की छत या किसी मैदान में पतंगबाजी का लुफ्त लेते थे। बुजुर्ग लोग आसमान में रंग बिरंगी पतंगों देख कर अपनी जवानी के दिनों को याद करते रहते थे। लेकिन अब पतंगबाजी का उत्सव ज्यादातर लोगों में डर पैदा करता है। इसका कारण चाइनीज मांझा है। सूती मांझे की जगह लोग खासकर बच्चे और युवा चाइनीज मांझा खरीद रहे है। पतंग के शौकीन दूसरे की पतंग काटने के लिए चाइनीज मांझे का इस्तेमाल करते हैं जो पंतग की डोर के साथ–साथ आदमी की गर्दन भी काट रहा है। देश में चाइनीज मांझे के नाम से बिकने वाले इस मांझे की धार ब्लेड की धार से भी ज्यादा तेज होती है। पल भर में यह चाइनीज मांझा वाहन चालक की गर्दन काट देता है। यह मांझा राह चलते वाहन चालकों का आज बड़ा दुश्मन बन गया है। पतंग को उड़ाने वाला ये चाइनीज मांझा साइलेंट किलर की तरह काम करता है। सड़क पर जा रहे वाहन चालक को यह दिखाई नहीं देता। इसका उसी समय पता तब चलता है, जब ये शरीर के अंग को क्षति ग्रस्त कर देता है। ये मांझा खूनी शिकारी बन गया है।
आजकल हमारे देश में पतंग उड़ाने वाले अक्सर ऐसी डोर या मांझे का प्रयोग करते हैं ताकि दूसरा पतंगबाज उनकी पतंग न काट सके। उनकी हर पल कोशिश होती है कि वे सरलता से सामने वाले की पतंग काट दें। इसके लिए पहले समय में धागे पर सरेस मिलाकर कांच का बुरादा लगाकर मांझा बनाया जाता था। यह मांझा भी नुकसान दायक होता था, पर खींचतान में टूट जाता था। जिस कारण इससे इतना ज्यादा नुकसान नहीं होता था। बताया जाता है चाइनीज मांझा प्लास्टिक, नायलॉन और लोहे का बुरादा मिलाकर बनाया जाता है। धातुओं के मिश्रण से बनने के कारण यह मजबूत ज्यादा है। ये चाइनीज मांझा खुद नहीं कटता और ना ही टूटता है। चाइनीज मांझा विरोधी की पतंग काटने के लिए पक्की गांरटी के रूप में जाना जाता है। इसी कारण ज्यादातर पतंगबाज इस चाइनीज मांझा का इस्तेमाल करते हैं। विभिन्न धातुओं के मिश्रण से बने होने के कारण यह धारदार और विद्युत सुचालक होता है। यह मांझा बिजली के तारों के संपर्क में आते ही पतंगबाजी करने वालों की भी जान ले रहा है। देश के कई राज्यों से ऐसे मामले भी सामने आये है जिनमें बिजली की तार से मांझे में करंट आने से लोगों की मौत हो गई। इस मांझे से बिजली की सप्लाई में भी बाधा पहुंचती है। कई बार दो तारों के बीच इस धागे के संपर्क से शॉर्ट सर्किट भी हो जाते हैं।
आम जनता में सवाल यह कि ये चीनी मांझा है क्या? जब इस पर प्रतिबंध है तो यह आ कहां से रहा है? और जानलेवा होने के बावजूद पतंगबाज इसका प्रयोग कैसे कर रहे हैं? पतंगबाजी अच्छा शौक है, लेकिन दूसरे के लिए घातक बन जाए यह कैसे शौक? चाइनीज मांझे की वजह से देशभर में कई घटनाये हो चुकी हैं। वर्ष 2017 में एनजीटी ने चीनी मांझे पर पाबंदी लगा दी थी। इसके बाद कहा गया था कि चीनी मांझा बेचने वालों के खिलाफ एनवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट (पर्यावरण संरक्षण अधिनियम) के तहत कार्रवाई की जाए। यदि किसी के खिलाफ इस अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी तो उसे पांच साल की सजा या एक लाख जुर्माना हो सकता है। एनजीटी ने जुलाई 2017 में खतरनाक चीनी मांझे की बिक्री पर पूरे देश में बैन लगा दिया था। पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल (पेटा) की अर्जी पर यह आदेश किया गया था। मांझा बनाने वाली कंपनियां सुप्रीम कोर्ट भी गईं, लेकिन उन्हें वहां से राहत नहीं मिली। साल 2017 से इस चाइनीज मांझे पर रोक के बाद भी इसकी बिक्री देश में क्यों नहीं रुक रहीॽ क्यों सरकार इस समस्या के सामने अपने को असहाय पाती है। पहले देश में यह मांझा चीन से आता था। अब तो यह भारत देश के राज्यों की फैक्ट्रियां ही चाइनीज मांझा धड़ल्ले से बना रही हैं। किंतु सिस्टम के गैर जिम्मेदार रवैये और घूसखोरी की बदौलत बाज़ार में चाइनीज मांझा बिक रहा है। इसी कारण चाइनीज मांझे से लोग धड़ल्ले से पतंग उड़ा रहे हैं। इसकी चपेट में आकर पिछले सालों में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। देश में हजारों की तादाद में पंछी हर साल जख्मी हो रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली में जुलाई 2022 के समय जख्मी पक्षियों को बचाने की 318 कॉल आई। साल 2021 के जुलाई महीने में 445, अगस्त में 909 कॉल पक्षियों को बचाने के लिये आई। इसी साल सितंबर महीने में यह आकंड़ा 714 रहा था। वर्ष 2017 से 31 जुलाई 2022 के बीच दिल्ली पुलिस ने चीनी मांझे के मामले में महज 256 एफआईआर दर्ज की हैं। इनमें 14 मामले चीनी मांझे से घायल होने या जान जाने के हैं। बाकी सभी 236 मामले चीनी मांझा बेचने वालों के खिलाफ दर्ज किये गये। सूत्रों का कहना है कि चीनी मांझे का धंधा करने वाले ज्यादातर लोग लचर कानून का फायदा उठाकर धंधा जारी रखते हैं। पुलिस चीनी मांझा बेचने वालों के खिलाफ सरकारी आदेश के उल्लंघन (धारा-188) का मामला दर्ज करती है। इन मामलों में आरोपियों पर बेहद कम जुर्माना लगाकर उनको छोड़ दिया जाता था। ऐसे में यह लोग दोबारा उसी धंधे को शुरू कर देते हैं।
चाइनीज मांझा के एक जानकार ने बताया कि इसे बनाने के लिये शीशा, वज्रम गोंद, मैदा फ्लाअर, एल्युमीनियम आक्साइड और जिरकोनिया आक्साइड आदि को शामिल किया जाता हैं। रसायन और धातुओं के मिश्रण से तेज धार वाला चाइनीज मांझा आसानी से टूटता नहीं है। इसमें ब्लेड जैसी धार बन जाती है। चाइनीज मांझा प्लास्टिक से बना होता है, जो काफी मजबूत होता है। इसी प्लास्टिक के धागे पर मेटालिक कोटिंग भी की जाती है। जिससे यह इलेक्ट्रिक कंडक्टर बन जाता है, इसमें हर समय करंट आने का खतरा भी रहता है। देश की राजधानी दिल्ली के अलावा पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, जम्मू , उत्तर प्रदेश कई राज्यों में पतंगबाजी के शौकीन लोग मौजूद है। चाइनीज मांझा का कहर कई सालों से देखने को मिल रहा है। अभी साल 2022-2023 के दौरान कुछ राज्यों में चाइनीज मांझा बेचने और खरीदने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की कोशिश शुरू हुई है। देश में चाइनीज मांझा के खिलाफ आवाजें उठने लगी है। आम लोग सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग करने लगे है। देश में चाइनीज मांझा बनाने और बेचने वालों के खिलाफ विशेष अभियान चलने की जरूरत है। चाइनीज मांझे से बाइक चलाने वाले ही नहीं, बल्कि पैदल चलने वाले भी परेशान हैं। सड़कों पर जगह- जगह चाइनीज मांझा जमीन पर पड़ा रहता है, जो अक्सर लोगों के पैर में फंस जाता है। जिससे राहगीर लोग जमीन पर गिर कर जख्मी होते रहते हैं।
पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है। मैसेज में कहा जा रहा है कि 15 अगस्त पर होने वाली पतंगबाजी के मद्देनजर दुपहिया वाहन चालक अपनी सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान दें। पतंग उड़ाने में प्रयोग होने वाला चाइनीज मांझा जानलेवा हो सकता है। वाहन चलाते सावधानी बरतें। वाहन धीमे चलाएं, आसपास देखकर चलाएं। दो पहिया वाहन चलाते समय गले पर मोटा कपड़ा बांधकर रखें। प्रश्न तो भी यह है कि आज सोशल मीडिया जिस समस्या की बेहद चिंता की जा रही है, सरकार और प्रशासन का ध्यान इस ओर क्यों नहीं हैॽ देश में करोना काल के समय लॉकडाउन में जब सब कुछ बंद था। उस समय भी देश के राज्यों में पतंग उड़ती रहीं। स्कूल बंद होने के कारण पतंग और चाइनीज मांझा धड़ल्ले से बिक रहा था। हां लॉकडाउन में यह बात जरूर थी कि दुपहिया वाहन बंद होने से उनके सवार दुर्घटना के शिकार होने के मामले देखने को नहीं मिले। लेकिन चाइनीज मांझा से पक्षी लगातार घायल होते और मरते रहे। दरअसल ये चाइनीज मांझा कभी खराब नहीं होता और ना ही टूटता है। सड़कों और गली मोहल्लों में बिखरा चाइनीज मांझा कूड़े में चला जाता था। इस कूडे में भोजन की तलाश में आने वाले पशु−पक्षी इसमें फंस जाते हैं। मांझे से निकलने के प्रयास में उनकी गर्दन कट जाती है या पांव कट जाते हैं।
पंजाब प्रदेश में भी पतंगबाजी के शौकीन लोगों की बड़ी संख्या मौजूद है। इस जानलेवा चाइना डोर ने हाल ही के दिनों में पंजाब के कई लोगों को भी अपना शिकार बनाया है। 15 जनवरी को खन्ना शहर में चाइना डोर के कारण फ्लाईओवर पर बाइक सवार एक 58 वर्षीय व्यक्ति की गर्दन कट गई। हैरानीजनक बात यह है कि इस मामले में चाइना डोर ने जैकेट को भी काट दिया था। अस्पताल में इलाज के दौरान घायल व्यक्ति की गर्दन में 16 टांके लगाने पड़े। इसी तरह दोराहा के इलाके में एक्टिवा पर अपने घर जा रही 24 वर्षीय युवा लड़की भी चाइना डोर में उलझ गई। जिसके चलते उसकी गर्दन पर गंभीर चोट आ गई। लुधियाना शहर में चाइना डोर के कारण 4 साल के बच्चे का चेहरा बुरी तरह से घायल हो गया। डाक्टरों को उसके चेहरे पर 120 टांके लगाने पड़े। एक बच्चे की चाइना डोर के कारण बिजली का करंट लगने से मृत्यु हो गई। ऐसे बहुत से मामले मीडिया में सामने आये।
हम सभी को चाइनीज मांझा यानि चाइना डोर बनाने और बेचने वालों के खिलाफ आवाज उठानी होगी। चाइनीज मांझे को एक सामाजिक बुराई घोषित किया जाना चाहिये। स्कूल – कालेज में बच्चों और युवाओं को जागरूक करना होगा। चाइनीज मांझे के खिलाफ समाज सेवी सस्थाओं को भी अभियान चलाना होगा। इसी के साथ राज्य व केंद्र सरकारों को देश में अवैध तरीके से चाइनीज मांझा बनाने वालों पर कठोर कार्रवाई होगी। अगर इसे ना रोका गया तो चाइनीज मांझा गंभीर समस्या बन सकता है। चाइनीज मांझा से बेकसूर लोगों की जान जाती रहेगी।