पंजाब में नशे का कारोबार
कई सालों पहले पंजाब की युवा पीढ़ी को नशीले पदार्थो की आदत डालने के लिये साजिश रची गई थी। साल भर साल नशे की गिरफ्त में युवा लड़के लड़कियां आते रहे। नशे की मांग के चलते तस्करों के लिये पंजाब कारोबार का केन्द्र बन गया। क्या शहर, क्या गांव, हर जगह नशा बिकना शुरू हो गया। नशा माफिया ने अपने कारोबार के विस्तार के लिये राजनितिक और प्रशासन के भ्रष्ट लोगों से हाथ मिला लिया। उसके बाद तो पंजाब के हालात ही बदल गये। शहर व गांव की गलियों तक नशा तस्करों ने अपनी पहुँच बना ली। ऐसा नहीं है कि सरकारों ने नशे को रोकने के लिये कोशिश नहीं की। पिछली राज्य सरकार, राजनीतिक नेताओं ने पंजाब की जनता से कई बार नशा खत्म करने के वायदे किये। वही प्रशासनिक अधिकारियों ने भी अपने हिसाब से कोशिशें की। हैरानी वाली बात तो यह कि सभी ने पंजाब से नशे का कारोबार खत्म करने के लिये बहुत कोशिश की, लेकिन नशा बिकता रहा। कुछ महीनों पहले पुलिस के पूर्व एडीजी (इंटेलिजेंस) शशिकांत ने एक ‘टॉप सीक्रेट’ दस्तावेज तैयार किये थे। जिसमें छोटे और मध्यम स्तर के 80 से ज्यादा ऐसे अफसरों के नाम शामिल हैं, जिनपर सीमापार का ड्रग माफियाओं के साथ संबंध होने का शक जारी किया गया है। दो साल पहले शशि कांत ने पंजाब में व्यापक स्तर पर फ़ैल चुके ड्रग रैकेट के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में सनसनीखेज दस्तावेज जमा करवा चुके है। कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रही है हालांकि इस मामले की प्रगति काफी धीमी है। पता चला है कि इससे कई सनसनी खुलासे हो सकते है। दुनिया के सामने ड्रग माफियाओं, राजनीतिज्ञों और अफसरों का गठजोड़ आ सकता है।
पंजाब में नशा तस्करों ने गली मुहल्ले के अलावा स्कूल-कालेज के आस पास इलाकों में ठिकाने बना लिये। नशा बेचने के लिये बच्चों और महिलाओं को सप्लाई के लिये जोड़ा गया। कई सालों से नशा तस्कर एक अभियान के तहत पंजाब के लोगों को नशे का आदी बना रहे थे। नशा बेचने वालों ने भी अपने धंधे को बढ़ाने के लिये नये तरीकों से काम करना शुरू कर दिया। पंजाब के हजारों परिवारों ने नशे के कारण अपनों को खो दिया है। नशे की ओवरडोज के कारण बड़ी संख्या में युवाओं की मौत हो गई। नशे का कारोबार एक गंभीर समस्या बन चुका है। पिछले समय मीडिया में छपी खबरों से पता चलता है कि कुछेक गांव वालों ने नशे की समस्या को खत्म करने के लिये विरोध शुरू कर दिया है। बिकराल रूप धारण कर चुकी नशे की समस्या को खत्म करने के लिये पंजाब मुख्यमंत्री ने सख्त आदेश जारी किये है। मुख्यमंत्री भंगवत मान ने आला अधिकारियों के साथ हाई लेवल बैठक की। इस बैठक में अधिकारियों को नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल लोगों की संपत्ति जब्त करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जिस अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में मादक पदार्थ बेचा जाता है, तो वह इस चूक के लिए जिम्मेदार होगा। सी.एम. मान ने कहा कि ग्रामीण अपने गांवों को नशा मुक्त बनाने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करें। नशा मुक्त गांवों की पंचायतों को सरकार की ओर से ग्रांट दी जाएगी। पंचायत अगर अपने गांव को नशा मुक्त करती है तो उसे चंडीगढ़ में सम्मानित किया जाएगा। इन गांवों की सुरक्षा भी हर तरह से सुनिश्चित की जाएगी।
वर्ष 2014 में पुलिस ने हाईकोर्ट में कहा था कि 19 जून से 30 जुलाई तक पुराने दो लाख नशेडि़यों को नशामुक्ति केंद्रों में पहुंचाया गया। वहां उनका इलाज करवाने के लिये स्वास्थ्य विभाग की मदद भी ली जा रही है। वर्ष 2014 में एनडीपीएस के 10830 मामले दर्ज किए गए। इन मामलों में 12695 व्यक्ति गिरफ्तार किए गए थे। बड़ी तस्करी में चार क्विंटल हेरोइन पकड़ी गई थी। वर्ष 2013 में तीन लाख 23 हजार 56 कैप्सूल और तीन करोड़ छह लाख 52 हजार 590 गोलियां जब्त की गईं। मीडिया से मिली जानकारी मुताबिक पंजाब पुलिस के डीआईजी बलकार सिंह सिद्धू ने हाईकोर्ट में दाखिल शपथ पत्र में कहा था कि पुलिस को ड्रग्स तस्करी से जुड़े विदेशों में मौजूद 11 भगोड़ों की तलाश है। इनके गिरफ्तारी वारंट हासिल किए जा चुके हैं। इंटरपोल से तालमेल के लिए सीबीआई को ही एनसीबी के तौर पर अधिसूचित किया हुआ है।
लेकिन इस के बावजूद नशा कारोबार बंद नहीं हो सका। जैसे जैसे नशा सेवन करने वालों की संख्या बढ़ रही थी, वैसे ही नये ड्रग डीलर भी पैदा हो रहे थे। पंजाब के हालात यहां तक आ चुके थे, कि हर कोई माँ बाप अपने युवा लड़का या लड़की को विदेश भेज देना चाहता है। पिछले कुछ सालों में काफी संख्या में युवा पंजाब छोड़ चुके है। पंजाब में चार साल पहले कई गांवों में नशा तस्करों के खिलाफ बड़ी संख्या में प्रदर्शन किये गये। युवाओं को नशे की दलदल से निकालने के लिये नुक्कड़ नाटकों के जरिये जागरूक अभियान चलाये गये। नशा विरोधी कविताओं का दौर भी चलाया गया। पंजाब के अमृतसर, कोटकपुरा, फरीदकोट, दीनानगर, मलोट, बरनाला के अलावा कई गांवों में नशे के खिलाफ रैलियां की गई। साल 2017 के विधानसभा चुनावों में नशा एक गंभीर मुद्दा बन गया था। पंजाब के लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुये, कांग्रेस पार्टी को बहुमत से जीत दिला दी। अभी भी पंजाब के गांवों में नशे का कारोबार जारी रहा। अब तस्करों ने नशे के सेवन करने वालों को सप्लाई और छोटे छोटे इलाकों में बेचने के काम में लगा दिया था। गांव में लगातार नशे के कारण युवाओं की मृत्यु हो रही थी। सोशल मीडिया पर बहुत सी वीडियो मौजूद है, जिसमे लड़के लड़कियां नशे का सेवन करते दिखाई देते है। पांच साल बाद 2022 के चुनावों में भी ड्रग का मुद्दा ही सुर्खियां बना रहा। पंजाब के लोगों ने अब की बार अकाली दल और काग्रेंस पार्टी को सत्ता से दूर कर दिया। आम आदमी पार्टी को बड़ी जीत हासिल हुई। अब पंजाब के लोगों के दिलों में एक उम्मीद जाग गई थी, प्रदेश की राजनीति में बहुत बड़ा बदलाव हुआ है। अब पंजाब के लोगों के दिलों में एक उम्मीद जाग गई थी, प्रदेश की राजनीति में बहुत बड़ा बदलाव हुआ है। इस बदलाव को पंजाब की जनता नशे के खत्म होने के साथ जोड़कर देख रहे है।
दिसंबर 2022 में मीडिया को बताया गया कि पंजाब पुलिस ने 5 जुलाई 2022 से अब तक 1244 बड़े तस्करों सहित 8755 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है। इस दौरान पुलिस ने कुल 6667 एफआईआर दर्ज की हैं। इस मामले को लेकर पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) सुखचैन सिंह गिल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से बात करते हुए कहा कि पुलिस टीमों ने राज्य भर में संवेदनशील स्थानों और नशा प्रभावित क्षेत्रों में नाकाबंदी और तलाशी अभियान चलाकर 325.55 किलोग्राम हेरोइन बरामद की है। पंजाब सरकार और पुलिस प्रशासन ने नशे तस्करों के खिलाफ सख्त कारवाही शुरू कर दी है। प्रदेश के कई इलाकों में बड़े स्तर पर छापेमारी की गई। दूसरी तरफ अब गांव के लोगों ने भी अपने स्तर पर नशा तस्करों के खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू कर दी है। कई गांवों में एक बार फिर से नशे के कारोबार को समाप्त करने के लिये बैठकें की जा रही है। गांव के लोग एकत्र होकर नशा बेचने वालों के लिये चेतावनी के रूप सामने आ रहे है।