पंजाब में 30 लाख लोग नशे के आदी, बेलगाम हुये नशा तस्कर
हर साल 7500 करोड़ रुपये के ड्रग्स का कारोबार
पंजाब के लिए हमेशा से ही नशीले पदार्थ (ड्रग) के सेवन के खतरे से निपटना बहुत मुश्किल रहा है। यहां पर कई सालों से नशा बेचा जा रहा हैं, वहीं नशा को खत्म करने की बाते भी कई सालों से हो रही हैं। पंजाब में नशीले पदार्थों की रोकथाम के लिये कोई ठोस उपाय नहीं हो पा रहा हैं। इसे केंद्र में रखकर बॉलीवुड ने फिल्म भी बनाई। राज्य के कई चुनावों में नशे की समस्या ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी हैं। हर राजनितिक पार्टी चुनावों में बड़े-बड़े वायदे कर लोगों के वोट हासिल करती आ रही हैं। सरकार बन जाती हैं लेकिन नशे का अवैध कारोबार कभी भी बंद नहीं होता। जब कोई रणनीति अपने लक्ष्यों को हासिल करने में विफल हो जाती है। तो इसके लिये एक दूरदर्शी एवं साहसी राजनीतिक नेतृत्व का अनुसरण करना चाहिए ताकि सफलता की संभावनाएं बढ़ाई जा सके। पंजाब में नशीली दवाओं के प्रकोप की खतरनाक स्थिति का मुकाबला करने के लिए वर्तमान रणनीतियों में बदलाव किया जाना जरुरी हैं। राजनीतिक तमाशेबाजी और ब्यानबाजी से प्रदेश में नशे की रोकथाम के उपायों को लागू नहीं किया जा सकता। ड्रग की तस्करी और व्यापक रूप से नशे की लत पंजाब की सबसे उल्लेखनीय सामाजिक-राजनीतिक चुनौती बन चुकी है। यह स्थिति पूरे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनती जा रही है। खासकर, पंजाब जैसे संवेदनशील सीमावर्ती राज्य में इस समस्या की भयावहता को देखते हुए, इसके खिलाफ एक ऐसी संपूर्ण लड़ाई छेड़ी जानी चाहिये। पंजाब में नशे की समस्या पिछले कई वर्षों के मुकाबले ज्यादा बदतर हो गई है। इस साल जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब राज्य अब मादक पदार्थो के उपयोग और तस्करी के मामले में तीसरे स्थान पर आ गया है। चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के चिकित्सा विभाग ने अपनी पुस्तक ‘रोडमैप फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ सब्सटेंस एब्यूज इन पंजाब’ के दूसरे संस्करण में बताया है कि पंजाब में 30 लाख से अधिक लोग इस समय नशीले पदार्थो का सेवन करने के आदी हो चुके है। यह आंकड़े हर किसी को चिंता में डालने वाले हैं।
रोजाना नशा तस्करों का बढ़ रहा नैटवर्क पंजाबी युवाओं के जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। पंजाब के लोग भुक्की, अफीम, हेरोइन, मेडिकल नशा और सिंथेटिक जैसे कई तरह के ड्रग्स लेते हैं। लेकिन इन सब में हेरोइन, जिसे चिट्टा भी कहा जाता है। पहले समय में पंजाब के लोग अफीम और भुक्की का नशा लेते थे। राज्य के बुजुर्ग लोगों का मानना हैं कि इससे नशा करने वाले की मृत्यु नहीं होती थी। वह आम लोगों से ज्यादा मेहनत करता था और अपने परिवार का पालन करता था। पिछले कुछ सालों में चिट्टा लोगों की पसंद बनता जा रहा है। नशा तस्करों ने हर गांव और शहर की गलियों तक यह खतरनाक चिट्टे का नशा पहुंचा दिया हैं। पंजाब का ज्यादातर युवा वर्ग चिट्टे के नशे का आदी हो चुका हैं। मेडिकल , सिंथेटिक और चिट्टे जैसे नशे की ओवरडोज के कारण नौजवानों की मौत हो रही हैं। साल 2018 में एसटीएफ ने पंजाब में ड्रग के ओवरडोज से 118 लोगों की मृत्यु दर्ज की हैं। लेकिन ड्रग के ओवरडोज से मरने वालों की संख्या ज्यादा होने की आशंका है। उन दिनों पंजाब के मुख्य स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि “इस तरह की मौतों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। इस बारे में सही आंकड़ों की जानकारी नहीं मिल पाएगी, क्योंकि पीड़ित परिवार सामाजिक बदनामी के डर से यह नहीं बताता कि ड्रग्स की वजह से ये मौतें हुईं। मीडिया में छपी खबरों से पता चलता हैं कि ग्रामीण और शहरी इलाकों में लोग अलग-अलग तरह का नशा करते हैं। शहरों में मेडिकल नशे की शिकायतें ज़्यादा मिलती हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में हेरोइन या चिट्टे की शिकायतें ज़्यादा मिलती हैं।
पंजाब आज के समय में ड्रग गिरोहों के लिए एक आकर्षक बाजार बन चुका हैं। इसका हाल ही में जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट से ही पता चलता हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब राज्य अब मादक पदार्थो के उपयोग और तस्करी के मामले में तीसरे स्थान पर आ गया है। रिपोर्ट से पता चला कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज 10,432 एफआईआर के साथ उत्तर प्रदेश अब पहले स्थान पर है। इसके बाद दूसरा नंबर महाराष्ट्र का आता हैं यहां 10,078 के करीब मामले दर्ज हुये। पंजाब का तीसरा स्थान हैं, यहां पर 9,972 एफ आई आर दर्ज की गई। पंजाब में हर साल करीब 7,500 करोड़ रुपये का ड्रग्स का कारोबार होने का अनुमान है। पीजीआईएमईआर के अनुसार लगभग पंजाब की 15.4 फीसदी आबादी इस समय नशीले पदार्थो का सेवन कर रही है। पंजाब के हालातों से बढ़ती चिंता के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस महीने राज्य सरकार को नशीले पदार्थो के खतरे पर नजर रखने और गंभीर होने का निर्देश जारी किये हैं। ‘उड़ता पंजाब’ का परिदृश्य इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशंस, चंडीगढ़ के एक अध्ययन में परिलक्षित होता है। जिसमें निष्कर्ष निकाला गया है कि सर्वेक्षण किए गए नशे के 75.8 प्रतिशत सीमावर्ती जिलों में रहते थे और ज्यादातर 15-35 वर्ष के बीच की आयु के हैं। दूसरी तरफ मीडिया में प्रकाशित समाचारों के मुताबिक पंजाब के मुख्यमंत्री के निर्देश पर नशे के खिलाफ अभियान में पंजाब पुलिस ने 5 जुलाई 2022 से अब तक 8755 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है। इस दौरान पुलिस ने कुल 6667 एफआईआर भी दर्ज की हैं। इस मामले को लेकर पुलिस महानिरीक्षक ने मीडिया को यह भी जानकारी दी हैं कि पुलिस टीमों ने राज्य भर में संवेदनशील स्थानों और नशा प्रभावित क्षेत्रों में नाकाबंदी और तलाशी अभियान चलाकर 325.55 किलोग्राम हेरोइन बरामद की है। इसी के साथ पुलिस ने गिरफ्तार किए गए नशा तस्करों के कब्जे से इन पांच महीनों में 5.80 करोड़ रुपये की ड्रग मनी भी बरामद की। वहीं पंजाब पुलिस की टीमों ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के सहयोग से केवल एक सप्ताह के भीतर ड्रोन द्वारा गिराई गई 15.34 किलोग्राम हेरोइन बरामद की और चार ड्रोन भी बरामद किए हैं।
ड्रग्स के तरीकों मौखिक खपत, धूम्रपान, सूंघने और इंजेक्शन की एक किस्म में दुरुपयोग कर रहे हैं। पंजाब का ज्यादातर युवा आज के दौर में नशीले पदार्थों को धारा के रूप में इंजेक्शन के जरिये ले रहा हैं। नशीली दवाओं का ऐसा प्रयोग सबसे शक्तिशाली है। इंजेक्शन से नशा करने वाले एक समूह में बैठकर एक दूसरे से शेयर करते हैं। सुई और सीरिंज का अक्सर फिर से इस्तेमाल किया जाना खतरनाक बनाता हैं। सुई और सीरिंज के साथ-साथ खून भी एक से दूसरे में गुजरता है। समूह में एक एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति समूह के बाकी को संक्रमित करता है। कुछ दवाओं एक से अधिक तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है, उदाहरण के तौर पर हेरोइन की शुद्ध रूप भी इंजेक्ट किया जा सकता है। इसी तरह कुछ लोग हेरोइन को धूम्रपान के रूप में लेते है। धूम्रपान की तुलना में हेरोइन को इंजेक्शन के रूप में लेना ज्यादा हानिकारक बनाता हैं। इस मुद्दे पर एसटीएफ के एक अधिकारी ने मीडिया को यह भी बताया कि नशे करने वाले सप्लाई के हिसाब से नशा करते हैं। उन्होंने बताया कि अगर एक नशे के खिलाफ सख्ती होती है तो नशेड़ी दूसरे किस्म के नशे करने लगते हैं। अगर जानकारों की माने तो उनका कहना हैं कि जिस भी व्यक्ति को एक बार रसायनयुक्त चिट्टा जैसे नशीले पदार्थों की लत लग जाती है उसके लिए इसे छोड़ना बहुत ही मुश्किल होता है। वो यह भी कहते हैं कि पिछले कुछ महीनों से पंजाब के सरकारी अस्पतालों में नशा छुडाने के लिए गोलियां दी जा रही हैं। इन गोलियों से लीवर और किडनी पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। आज पंजाब में बहुत ही बुरे हालात दिखाई दे रहे हैं। पंजाब के सरकारी अस्पतालों और नशा-मुक्ति केन्द्रों में लोगों को स्मैक, चरस, कोकीन और हेरोइन से हटाने की लिये जो गोलियां दी जा रही हैं। नशा करने वाला व्यक्ति इन गोलियों से ही नशे की पूर्ति के लिये करने लगा हैं। यानी एक नशा छुडाने के लिए दुसरे नशे की लत डाली जा रही हैं। यह भी पता चला हैं कि कुछ नशेड़ी सरकारी अस्पतालों और नशा-मुक्ति केन्द्रों में सुबह ही लाइनों में लग जाते हैं। वहा से गोलियां लेकर अन्य लोगों को बेच देते हैं और उन पैसे से चिट्टा खरीद कर अपने नशे की पूर्ति करते हैं।