26/11 Mumbai Attack: 26/11 मुंबई आतंकी हमले के जख्म 14 साल के बाद भी ताजा
28 नवंबर 2022 को मुंबई आंतकी हमले में दिलेरी दिखाने वाले आरपीएफ के कांस्टेबल जिल्लू यादव की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई। गौरतलब हैं कि मुंबई में आंतकी हमले में छत्रपति शिवाजी टमिर्नल पर कांस्टेबल जिल्लू यादव ने आंतकी कसाब का डट कर मुकाबला करते हुये सैकड़ों रेल यात्रियों की जान बचाई थी। जिल्लू यादव ने हमले के समय अपना डंडा फेंककर राइफल उठा आतंकवादियों पर अंधाधुंध फायर करना शुरू कर दिया था। उनकी दिलेरी और सैकड़ों लोगों की जान बचाने के लिये आरपीएफ के कांस्टेबल जिल्लू यादव को राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किया गया था।
भारत के महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमले की 14वीं बरसी है। मुंबई आतंकी हमला भारत देश के इतिहास का सबसे भीषण और भयावह आतंकी हमला था। इस हमले में आतंकियों ने इस दौरान 160 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी। आज भी 26 नवंबर 2008 की शाम लोगों को याद हैं, जब मुंबई हर-रोज की तरह चहलकदमी कर रही थी। शहर के सामान्य हालात में लोग बाजारों में खरीदारी कर रहे थे। वही शहर के कुछ लोग समुद्र से आ रही ठंडी हवा का लुत्फ ले रहे थे। उस रोज पाकिस्तान से आए जैश-ए-मोहम्मद के 10 आतंकवादियों ने मुंबई को बम धमाकों और गोलीबारी से दहला दिया था। इस आतंकी हमले को आज 14 साल हो गए हैं लेकिन यह भारतीय इतिहास का वो काला दिन है जिसे कोई चाह कर भी नहीं भुला सकता। मुंबई में जैसे-जैसे रात बढ़नी शुरू हुई, वैसे-वैसे सड़कों पर चीख-पुकार भी तेज होती चली गई। आतंकियों ने अलग-अलग हमले कर मुंबई में 160 से ज्यादा लोग को मार दिया और इन हमलों में 300 से ज्यादा घायल हुए थे।
भारत के इतिहास के सबसे काले दिनों में से एक 26/11 को आतंकवादियों ने अब तक के सबसे क्रूर आतंकी हमलों को अंजाम दिया था। इस भीषण हमलों में लश्कर-ए-तैयबा के दस आतंकवादियों ने मुंबई में प्रवेश कर चार दिनों तक गोलीबारी और सिलसिलेवार बम विस्फोट किए थे। हलाँकि मुंबई में वर्ष 2008 में हुए आतंकी हमले को आज 14 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन आज भी भारत देश के लोगों के दिलों में मुंबई आतंकी हमले के जख्म जिंदा है। हर साल 26 नवंबर आते ही पीड़ित परिवारों के लोग उस भीषण और भयावह आतंकी हमले को याद कर रोते हैं। आतंकी हमले ने मुंबई की धरती को बेगुनाह लोगों और पुलिस कर्मियों के खून से लाल कर दिया था। हर तरफ एक अजीब सा डर इधर-उधर भाग रहे लोगों के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था। आतंकी हमले के समय टी वी पर समाचार देख रहे लोग भी घटना स्थल पर मौजूद लोगों के लिये दुआ कर रहे थे। वही भारत देश के हर शहर व गांव में घरों के अंदर बैठे लोग आंतकवादियों के मारे जाने की खबर सुनना चाहते थे। मुंबई के इस आंतकी हमले ने हर भारतीयों के दिलों को झिझोर दिया था। इस हमले के बाद समय-समय पर आतंकियों के कई मकसदों के खुलासे हुये। हम सभी आंतकी हमले में मारे गये बेगुनाह लोगों और शहीद पुलिस सुरक्षा कर्मियों को श्रृंद्धाजलि देते हैं।
मुंबई आतंकी हमले की 14वीं बरसी पर जानते हैं कि मुंबई में उस दिन क्या हुआ था…
मुंबई आतंकी हमले से तीन दिन पहले 23 नवंबर को पाकिस्तान से समुद्री रास्ते के जरिए ये 10 आतंकी मुंबई पहुंचे थे। आतंकियों ने नाव पर सवार चार भारतीयों को मार कर नाव पर कब्जा किया था। रात तकरीबन आठ बजे आतंकी मछली बाजार पर उतरे। वही से आतंकी चार समूहों में बंट गए थे। आतंकी टैक्सी पर सवार हो अपनी-अपनी मंजिलों की ओर बढ़ गए थे। मीडिया में प्रकाशित खबरों से पता चलता है कि जब ये आतंकी मछली बाजार में उतरे थे तो उनको देखकर मछुआरों को शक भी हुआ था। उस समय मछुआरों ने इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस के पास भी पहुंचई थी। लेकिन पुलिस ने इस पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया। पाकिस्तान से भेजे आतंकी काफी प्रशिक्षित थे। सोची समझी प्लानिंग के तहत आतंकवादियों ने भारत में प्रवेश करने के लिए समुद्री मार्ग को चुना। आतंकवादियों का मुख्य मकसद आतंक फैलाना था। मुंबई आतंकी हमले की योजना कई महीने पहले ही बना ली गई थी। ऐसी भी रिपोर्टें थीं कि इस हमले में शामिल आतंकवादियों ने भारत-बांग्लादेश सीमा से तीन सिम कार्ड और एक सिम कार्ड अमेरिकी राज्य न्यू जर्सी से खरीदे गये।
पुलिस को रात के 09.30 बजे छत्रपति शिवाजी रेलवे टर्मिनल पर गोलीबारी की खबर मिली। बताया गया कि यहां रेलवे स्टेशन के मुख्य हॉल में दो हमलावरों ने अंधाधुंध गोलीबारी की है। इन हमलावरों में एक मोहम्मद अजमल कसाब था जिसे फांसी दी जा चुकी है। दोनों हमलावरों ने एके47 राइफलों से गोलीबारी कर 52 लोगों को मौत के घाट उतार दिया और 100 से ज्यादा लोगों को घायल कर दिया था। आतंकियों ने शिवाजी टर्मिनल के आलावा दक्षिणी मुंबई के लियोपोल्ट कैफे पर भी गोलीबारी कर 10 लोगों को मार दिया। इस गोलाबारी में कई विदेशी भी मारे गये थे। गौरतलब हैं कि यह कैफे साल 1871 से मेहमानों की खातिरदारी कर रहा था। इसी के चलते रात 10.30 बजे विले पारले इलाके में एक टैक्सी को बम से उड़ा दिया। इसमें ड्राइवर और एक यात्री की मृत्यु हो गई थी। इसी तरह बोरीबंदर से भी बम धमाके की खबर आई, जिसमें एक टैक्सी ड्राइवर और दो यात्रियों की मौत हो गई । इसमें तकरीबन 15 लोग घायल हुए थे। 26/11 के भयावह आतंकी हमलों में मुंबई का ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस भी शामिल थे। जब आतंकी हमला हुआ तो उस समय ताज होटल में 450 और ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल में 380 मेहमान मौजूद थे। 27 नवंबर को मीडिया की खबर से पता चला कि ताज होटल में आतंकियों से सभी बंधकों को छुड़ा लिया गया है, लेकिन कुछ देर के बाद खबर आती हैं कि अभी भी कुछ लोग आतंकियों के कब्जे में हैं, जिनमें कई विदेशी लोग भी शामिल हैं। उस समय कई तरह की बातें सुनने को मिल रही थी। आम लोगों में यह चर्चा भी चली थी कि मीडिया की लाइव कवरेज से आतंकवादियों को मदद मिलती रही हैं टीवी की लाइव समाचारों से हमले की हर जानकारी आतंकवादियों को मिल रही थी। दुनिया भर की नजरें ताज, ओबेरॉय और नरीमन हाउस पर टिकी हुई थीं। हर कोई हमले के बारे में जानना चाहता था। मुंबई के आंतकी हमले में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच तीन दिनों तक मुठभेड़ चलती रही थी। हमले के समय ताज होटल में अंतरराष्ट्रीय व्यापार संघ की संसदीय समिति के कई सदस्य होटल में ठहरे हुए थे, हालांकि इनमें से किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ। ताज होटल की लॉबी में यूरोपीय संसद के ब्रिटिश सदस्य सज्जाद करीम भी मौजूद थे। दूसरी तरफ ओबेरॉय में मौजूद लोगों में भी कई जाने माने लोग थे।
आंतकी हमले के चलते 28 नवंबर 2008 की सुबह तक ताज होटल को छोड़कर, बाकी सभी स्थानों को मुंबई पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा सुरक्षित कर लिया गया था। मुंबई में चारों तरफ से गोलियां चलने की आवाज और आतंकवादियों के बीच फंसे मासूम बच्चों की चींखें मौके पर मौजूद लोगों के कानों में आज भी गूंजती हैं। 29 नवंबर की सुबह तक मुंबई पुलिस और सुरक्षा बलों ने नौ हमलावर आतंकियों को मार दिया था। एक हमलावर आंतकी अजमल कसाब को मुंबई पुलिस के सहायक उप-निरीक्षक तुकाराम ओंबले ने जिंदा पकड़ लिया था। मुंबई में सुरक्षा बलों ने स्थिति को पूरी तरह नियंत्रण कर लिया था। लेकिन इस आंतकी हमले में 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी थी। इसके आलावा हमले में महाराष्ट्र पुलिस ने संयुक्त आयुक्त हेमंत करकरे (जोकि उन दिनों आतंकवादी निरोधी दस्ते के प्रमुख भी थे), अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अशोक कामटे, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर विजय सालस्कर, सीनियर इंस्पेक्टर शशांक शिंदे, एनएसजी कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, एनएसजी कमांडो हवलदार गजेंद्र सिंह बिष्ट सहित छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के तीन रेलवे अधिकारी शहीद हो गए थे।
एकमात्र जिंदा पकड़े गए आतंकवादी अजमल कसाब के खिलाफ आर्म्स एक्ट, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और रेलवे अधिनियम की अन्य विभिन्न धाराओं सहित विभिन्न अधिनियमों के तहत मामला दर्ज किया गया था। अजमल आमिर कसाब को यरवदा जेल में 21 नवंबर 2012 को फांसी दी गई थी। इस हमले में सेवानिवृत्त फौजी तुकाराम ओंबले और मुंबई पुलिस के सहायक सब-इंस्पेक्टर ने एकमात्र जीवित आतंकवादी अजमल कसाब को पकड़ने के लिए अपनी जान दे दी थी। ओंबले को कर्तव्य के पालन में असाधारण बहादुरी और वीरता के लिए अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। जमात-उद-दावा का सरगना हाफिज सईद 26/11 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड था। पाकिस्तान आज भी मुंबई के आंतकी हमले के मास्टरमाइंड को बचाता आ रहा है।