भारत की सड़कों पर हर घंटे 18 लोग जान गंवा बैठते हैं
आज भारत देश में सरकारों के सामने कई मुद्दे चिनौती बन कर खड़े हैं। देश में यहां आंतकी गतिविधियां बहुत बड़ी समस्या बनी हुई हैं। राष्ट्रीय विरोधी ताकतें समय-समय पर देश का माहौल खराब करने के लिये साजिशें रचती रहती हैं। इसी तरह देश के लिये रोजाना होने वाली सड़क दुर्घटनाएं भी एक बहुत बड़ी चिनौती बन गई हैं। हाल ही में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों में सबसे ज्यादा भारत के लोग होते हैं। वैसे तो भारत में दुनिया के सिर्फ एक फीसदी वाहन हैं। लेकिन यह भी सच हैं कि दुनिया की सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में भारत का हिस्सा 11 प्रतिशत है। भारत देश में हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं और हर चार मिनट में एक व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मौत होती है। यह एक चिंता का विषय हैं। सड़क दुर्घटनाओं की रिपोर्ट से पता चलता हैं कि भारतीय सड़कों पर पिछले एक दशक में 13 लाख लोगों की मौत ही चुकी है। इन सड़क दुर्घटनाओं में करीब 50 लाख लोग घायल हुए हैं।
दुनियाभर में सड़क दुर्घटनाओं में 11% मौतें भारत में होती हैं। सड़क दुर्घटना में तेज रफ्तार तथा लापरवाही, नींद और नशे में गाड़ी चलाना मौत के प्रमुख कारण हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट से भी कई चौंकाने वाली बातों का खुलासा होता है। पिछले साल पूरे देश में 4.03 लाख सड़क दुर्घटनाओं में 1.55 लाख लोगों की जान चली गई। सड़क दुर्घटनाओं में रोजाना करीब 426 लोगों को या हर घंटे 18 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। भारत में हर 4 मिनट में सड़क हादसे में एक मौत हो जाती है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि साल 2019 में 0.52 और 2020 (कोविड वर्ष) में 0.45 थी। उसके बाद साल 2021 में बढ़कर 0.53 हो गई। इससे पहले 2018 में यह दर 0.56 और साल 2017 में 0.59 रही थी। पिछले साल देश में सड़क पर ओवरस्पीडिंग के कारण 87,050 और केयरलेस ड्राइविंग के कारण 42,853 लोगों की जान चली गई। देश में कुछ समय पहले मीडिया में चर्चित टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की सड़क दुर्घटना ने सरकार को सोचने के लिये मजबूर कर दिया। गौरतलब हैं कि टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की रविवार को महाराष्ट्र के पालघर में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। सड़क दुर्घटना से ठीक पहले उनकी एसयूवी गाडी ने 20 किलोमीटर का सफर सिर्फ 9 मिनट में पूरा किया था। साइरस मिस्त्री पिछली सीट पर बैठे थे, लेकिन उन्होंने सीट बेल्ट भी नहीं पहनी थी। इसी के बाद गाड़ी की पिछली सीट पर बैठे व्यक्ति को भी सीट बेल्ट पहनने की हिदायत दी गई। देश में दो महीने पहले मध्य प्रदेश के पन्ना जिले से चार धाम यात्रा पर निकले तीर्थयात्रियों की बस उत्तरकाशी में खाई में गिर गई। बताया जाता हैं कि बस की स्पीड भी ज्यादा होने के कारण ड्राइवर ने नियंत्रण खो दिया था।
भारत में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट के चीफ का कहना हैं “भारत देश पृथ्वी के उत्तर तथा दक्षिण से सटा क्षेत्र है। यहां दोपहर में खाने के बाद लोगों को सुस्ती और नींद आती है। इसी कारण कुछ मामलों में हाइवे पर हल्की झपकी भी बड़े हादसे का रूप ले लेती है। भारत में शाम को शराब पीकर गाड़ी चलाना भी एक समस्या है।” सीआरआरआई के चीफ के अनुसार दिन ढलने और पूरी तरह रात होने के बीच हाइवे पर रौशनी कम होती है, यह भी हादसे का बड़ा कारण है।” एनसीआरबी की रिपोर्ट में बताया गया कि साल 2021 में शाम छह से नौ बजे के बीच 19.9% हादसे हुए। वहीं 17.6% दुर्घटनाएं दोपहर तीन बजे से शाम छह बजे तक और 15.5% दुर्घटनाएं दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक हुईं। इस दौरान देश में कुल 4,03,116 सड़क हादसों में से 2,40,828 हादसे तेज रफ्तार और लापरवाही के कारण हुए हैं। तेज रफ्तार और लापरवाही के कारण 87,050 लोगों की जान चली गई और 2,28,274 घायल हुए। सदन पर खतरनाक तरीके से वाहन चलाने और ओवरटेकिंग के कारण 1,03,629 हादसे हुए। इन सड़क हादसों में 42,853 लोगों की जान गई और 91,893 के करीब लोग घायल हो गये। वैसे तो भारत देश में मोबाईल क्रांति ने आम लोगों की जीवनशैली को काफी प्रभावित किया हैं। आज हर व्यक्ति को मोबाईल ने जागरूक किया हैं। आम व्यक्ति हर छोटी बड़ी जानकारी मोबाईल से प्राप्त कर रहा हैं। वही दूसरी ओर यमराज बन कर मोबाईल सड़कों पर लोगों के मारे जाने का कारण भी बन रहा हैं।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट इस बारे हैरानीजनक खुलासा कर रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार देश में पिछले पांच सालों में ड्राइविंग के समय मोबाईल फोन का इस्तेमाल करने से 40 हजार के करीब सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। भारत में मोबाईल के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं की संख्या हर साल बढ़ रही है। आकंड़ो के मुताबिक साल 2016 में 4976 सड़क दुर्घटनाएं मोबाईल का इस्तेमाल करते समय हुई। इसी तरह साल 2017 में 8526 दुर्घटनाएं, साल 2018 में 9039 दुर्घटनाएं और 2019 में 10522 सड़क दुर्घटनाएं मोबाईल का इस्तेमाल करने के कारण हुईं। इसी के चलते साल 2020 में 6753 दुर्घटनाएं हुई थीं, हालांकि उस साल कोरोना का दौर होने के कारण लॉकडाउन भी था। देश में करोड़ों लोग मोबाईल का इस्तेमाल कर रहे हैं। सड़क पर हमें बहुत से दो पहिया और चार पहिया वाहन चालक मोबाईल पर बातचीत करते आम दिख जायेंगे। वैसे तो सरकार ने सड़क पर गाड़ी चलते समय मोबाईल के इस्तेमाल करने पर चालान का नियम बना रखा हैं। लेकिन इस के बावजूद ज्यादातर लोग अपनी मनमर्जी करते हैं। विशेषज्ञों का मानना हैं कि मोबाईल पर बात करते हुए गाड़ी चलाना और नशे में गाड़ी चलाना दोनों ही घातक हो सकते है। मोबाईल पर बात करने के दौरान व्यक्ति का ध्यान कुछ पल के लिये सड़क से हट जाता है और वह अपना नियंत्रण खो बैठता है। यहीं पल सड़क दुर्घटना का कारण बन जाता हैं। लोगों को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिये। ऐसा करके हम खुद सड़क दुर्घटना को बुलावा देते हैं।
हमारे देश में राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क दुर्घटनाएं ज्यादा होती हैं। संसद में पेश किए गए आंकड़ों से पता चलता हैं कि साल 2019 में 30.5% सड़क हादसे राष्ट्रीय राजमार्गों पर और 24.3% राज्यीय राजमार्गों पर हुए। साल 2021 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 1,22,204 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। इन सड़क दुर्घटनाओं में 53,615 लोगों की मौत हो गई। इसी तरह पिछले वर्षों के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2017 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 1,41,466 सड़क दुर्घटनाएं और राज्यीय राजमार्गों पर 1,16,158 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। वही साल 2018 में 1,40,843 सड़क दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्गों पर घटित हुई और राज्यीय राजमार्गों पर 1,17,570 दुर्घटनाएं हुईं। साल 2019 में 1,37,191 राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क दुर्घटनाएं हुई। जबकि इसी साल 1,08,976 सड़क दुर्घटनाएं राज्यीय राजमार्गों पर घटित हुईं। देश में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिये एक बड़ा अभियान चलाये जाने की जरूरत हैं। इस पर सरकार के साथ हम सभी को काम करने की जरूरत हैं। समाज सेवी संस्थाओं को भी लोगों को सड़क नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए अपना योगदान देना चाहिये।