आज मीडिया की आक्रामक हेडिंग वाली खबरे भरम पैदा करती है
भारत देश में आज कल टीवी न्यूज चैनलों में अलग तरिके का मुकाबला चल रहा हैं। दिन हो या रात हो किसी भी समय आप कोई भी न्यूज चैनल आन कर लो 4-5 लोग डिवेट कर रहे होते हैं। हैरानीजनक बात तो यह हैं डिवेट कर रहे लोग मुद्दे की बात कम करते नजर आयेंगे। डिवेट में जोर जोर से चिलाते हुये एक दूसरे पर ज्यादा आरोप लगते हैं। टीवी चैनल पर एंकर सहित डिवेट करने वाले इतने बुरे तरीके से चिलाते जैसे वह अभी उस मुद्दे का निर्णय करके ही उठेंगे। हालंकि कई बार तो यह देखा जाता हैं कि जिस मुद्दे को लेकर डिवेट शुरू की गई थी, वह मुद्दा ही गायब हो जाता हैं। आखिर 30 मिनट की डिवेट खत्म होती हैं, आम आदमी को चीखने चिल्लाने की नौटंकी के आलावा कुछ हासिल नहीं होता। डिवेट करने वाले हदों को पार करते हुये एक दूसरे के कपड़े फाड़ने तक चले जाते हैं। इनको देख लगता हैं जैसे यह टीवी में चल रही डिवेट न हो कर एक कुश्ती का अखाड़ा हो। यह तो बात हो गई न्यूज चैनलों पर चलने वाली डिवेट की। अब बात करते हैं देश में न्यूज चैनल आम खबर को भी सनसनी बना कर पेश कर रहे हैं। भारत देश में TRP की दौड़ में सबसे आगे आने और बेहतर दिखने के लिए न्यूज़ संस्थान कई तरह के हथकंडे अपनाने लगे हैं। हर खबर को कई तरह के आक्रामक हेडिंग से मसालेदार बना दिया जाता हैं। पहले टी वी चैनलों पर न्यूज एंकर शांत और अनुशासनिता का पालन करते हुये खबरों की जानकारी देते थे। आज हर छोटी खबर को भी चीख चीख कर सनसनी बनाने में एंकर अपना सारा जोर लगा देता हैं। ऐसे लगता हैं जैसे उस एंकर को दोबारा से टी वी पर आने का मौका नहीं मिलेगा। इसलिये कई बार न्यूज एंकर खबरों की जानकारी देते हुये एक अभिनेता या अभिनेत्री का रोल भी अदा कर देता हैं। एक लाइन की खबर को खींच खींच कर रबड़ की तरह लंबा किया जाता हैं। न्यूज चैनल हर खबर में TRP बढ़ाने का मौका ढूढ़ते रहते हैं।
हर न्यूज चैनल अपने आपको सबसे सर्वश्रेठ और खबर में सबसे आगे दिखाना चाहता हैं। आज के न्यूज संस्थाओं में बड़े बड़े व्यवसायी और राजनितिक लोग शामिल हो चुके हैं। जिस कारण न्यूज चैनलों का तौर तरीका बदल गया हैं। अब तो यह हाल हैं कि किसी पर अगर कोई आरोप लग जाता हैं। उस आरोप का यह भी पता नहीं होता कि आगे जा कर सच साबित है या नहीं। उस पर भी कई कई घंटो के सपेशल प्रोग्राम बना दिये जाते हैं। कई टीवी चैनलों पर तो खबर देने वाला एंकर ही घटित घटना और आरोपी पर अपने फैंसले सुनाने लगते हैं। वह खुद ही पुलिस और जज बन जाते हैं। आम लोगों का मानना है कि आज कल जैसे खबरें को दिखाया जाता हैं। उसको देख कर कई बार तो हंसी आती हैं। इन्ही कारणों के वह न्यूज चैनल कम देखते हैं। कई टीवी चैनलों पर तो खबर देने वाला एंकर ही घटित घटना और आरोपी पर अपने फैंसले सुनाने लगते हैं। वह खुद ही पुलिस और जज बन जाते हैं। आम लोगों का मानना है कि आज कल जैसे खबरें को दिखाया जाता हैं। उसको देख कर कई बार तो हंसी आती हैं। इन्ही कारणों के वह न्यूज चैनल कम देखते हैं।
देश में कुछ ऐसे पोर्टल और यूट्यूब चैनल भी सक्रिय है जो मसालेदार और आक्रामक हेडिंग वाले लिंक सोशल मीडिया पर भेजते हैं। वह अपने लिंक को ओपन करवाने की सोच रख पाठकों और न्यूज़ व्यूवरो को भ्रमित करते हैं। ऐसे आक्रामक हैडिंगदार रिपोर्टर देश के हर राज्य और जिले में मौजूद है। कोई छोटी सी घटना होते ही यह सक्रिय हो जाते हैं। कई ऐसे लोगों ने यूट्यूब चैनल बना रखे हैं, देश में अफवाह फैलाने का काम करते हैं। सोशल मीडिया पर हर पोस्ट की जबावदेही बनाने के लिये देश की केंद्र की सरकार नियम तय कर रही हैं। जो ऐसे चैनलों को रोकने के लिये जरूरी हैं। कई चैनल तो जिनका हाल उस ठग की तरह है, जो बिक्री करने के लिए सेम्पल तो कुछ और दिखाता है। लेकिन माल खराब या हल्का दे देता है, जिसकी कीमत कौड़ियों में होती है। ऐसे पोर्टल और यूट्यूब चैनल के पाठक भी ऐसे खबरों का लिंक ओपन कर अपने को ठगा महसूस करते हैं। ऐसे लोगो का मात्र एक उद्देश्य होता है नकली समाचार और असत्य जानकारी समाचार के रूप में प्रस्तुत करके सबसे बेहतर दिखना है। कुछ यूट्यूब चैनल का उद्देश्य किसी व्यक्ति या संस्था की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के माध्यम से पैसा कमाना होता है। हाल ही में देश के अंदर चले किसान आंदोलन में यह सब देखने को मिला हैं। किसान आंदोलन में कुछ ही दिनों में यूट्यूब चैनल की बाढ़ सी आ गई थी। देश के अलग अलग राज्यों के यूट्यूब चैनल वाले अपनी गाड़ियों से दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में पहुंच गये थे। आंदोलन में फंड और खाने पीने की कोई कमी नहीं थी। इसको देखते हुये किसान आंदोलन में यहां नये नेता पैदा हुये, वही कई नये यूट्यूब चैनल और रिपोर्टर भी पैदा हुये थे। आंदोलन के सीजन में पैदा हुये कई रिपोर्टरों ने वही पर डेरा डाल लिया था। इससे पहले CAA के खिलाफ चले धरना प्रदर्शन में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था।
देश में कुछ टीवी चैनलों और यूट्यूब चैनल का मसालेदार और आक्रामक हेडिंग वाले समाचार परोसने का यह चलन बढ़ता ही जा रहा हैं। देश और समाज के लिये यह सब एक खतरा बन चुका हैं। समाज में ऐसी खबरों के जरिये क्या संदेश जा रहा हैं, इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत हैं। टीवी चैनल अपनी TRP बढ़ाने में ऐसी खबरों को दिखा रहे हैं। वही यूट्यूब चैनल अपने फॉलोअर्स और लाइक बढ़ाने के लिये सक्रिय हैं। ऐसे लोगो को चिन्हित कर जिला सूचना विभाग कार्यालय और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में शिकायत कर रोक लगाने की जरूरत है।