ब्रिटेन में अबकी बार ऋषि सुनक की सरकार
यहाँ आज दुनिया में बढ़ रही कट्टरता और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। वहीं ब्रिटेन और वहां की कंजर्वेटिव पार्टी ने जो फैसला किया है, वह दुनिया को एक नई राह दिखाएगा। ऋषि सुनक ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री होने जा रहे हैं। बोरिस जॉनसन के इस्तीफा देने के बाद कंजर्वेटिव पार्टी में जब नया नेता चुनने की रेस शुरू हुई तो आखिरी चरण में सुनक और लिज ट़्रस बचे थे। उस समय बाजी लिज ट्रस के हाथ लगी थी। लेकिन ब्रिटिश इकॉनमी को गहरे संकट से निकालने के लिज ट्रस के उपायों से कोई लाभ नहीं हुआ। ब्रिटेन में इकॉनमी का मामला और बिगड़ गया। इस सब के चलते आखिरकार लिज ट्रस को डेढ़ महीने से भी कम समय में इस्तीफा देना पड़ा। लिज ट्रस के इस्तीफा देने के बाद ब्रिटेन में सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी को अपना नया नेता चुनना था। ब्रिटिश पीएम की रेस में सुनक, बोरिस जॉनसन और पेनी मॉरडॉन्ट शामिल थे। आखरी समय में जॉनसन ने नाम वापस ले लिया और दूसरी तरफ पीएम की रेस में शामिल पेनी जरूरी समर्थन नहीं जुटा सकीं। उनके रेस से बाहर होते ही ऋषि सुनक का यूके का पहला एशियाई प्रधानमंत्री बनना तय हो गया। ऋषि सुनक को पार्टी के भीतर जबर्दस्त सपोर्ट मिला है। लिज ट्रस के जाने से भारतवंशी ऋषि सुनक की पीएम पद पर दावेदारी बनी थी। लिज ट्रस और ऋषि सुनक ने पीएम पद के लिए कंजर्वेटिव पार्टी के भीतर कुछ माह पहले हुए चुनाव में काफी मशक्कत की थी। जिसमें लिज ट्रस पहले और ऋषि दूसरे नंबर पर रहे थे।
अब ब्रिटेन में भारतीय मूल के ऋषि सुनक का शासन आ रहा है। जिस ब्रिटेन ने हमें 200 से ज्यादा सालों तक गुलाम बनाये रखा, अब उस ब्रिटेन को एक भारतवंशी चलाएगा।ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी ने दिवाली के दिन ऋषि सुनक को अपना नेता चुना। वो यूनाइटेड किंगडम का पीएम बनने वाले पहले एशियाई मूल के भी व्यक्ति हैं। ऋषि सुनक ने 2015 में, 35 साल की उम्र में, पहली बार संसद का चुनाव जीता था। ब्रिटिश संसद में ऋषि सुनक ने जब पहली बार यॉकर्शर से भगवदगीता के नाम पर सांसद पद की शपथ ली थी। ब्रिटेन में सुनक ऐसा करने वाले पहले सांसद थे। ऋषि सुनक अपनी मेहनत से केवल सात वर्षों में आज प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।
ब्रिटेन में काफी मशहूर हो चुके ऋषि सुनक 2015 से ही श्रीमद्भागवत गीता पर हाथ रखकर अपने पथ की शपथ लेते आ रहे हैं। ब्रिटेन में वित्त मंत्री के पद पर रहते हुए ऋषि सुनक ने दीपावली के मौके पर महात्मा गांधी के नाम का सिक्का जारी किया था, जिसमे भारत का राष्ट्रीय चिन्ह और मां सरस्वती का सिंहासन कमल के फूल का भी चित्र अंकित था। उस समय ऋषि सुनक ने कहा था कि “एक हिंदू होने के नाते मुझे ये सिक्का जारी करते हुए खुशी महसूस हो रही है।” ऋषि सुनक का जन्म 12 मई 1980 को, यूनाइटेड किंगडम के Southampton Hampshire में हुआ। अभी ऋषि सुनक की उम्र सिर्फ 42 साल है। उनका परिवार पहले भारत से ईस्ट अफ्रीका गया था और फिर ईस्ट अफ्रीका से ब्रिटेन आ गया था। उनका संबंध एक साधारण परिवार से रहा है। ब्रिटेन में ऋषि सुनक के काम को लेकर उनकी काफी तारीफ होती। ब्रिटेन के आम नागरिक भी सुनक काफी पसंद करते हैं। साल 2020 में ब्रिटेन की एक प्राइवेट कंपनी ने सर्वे करवाया था जिसमें ब्रिटेन की करीब 60 प्रतिशत जनता ने ऋषि सुनक को अपना पसंदीदा प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताया था। जिस बर्तानिया की हुकूमत में, कभी सूरज डूबने का दावा नहीं किया जाता था। जिसने सदियों तक भारत को गुलाम बना कर रखा। 200 सालों से ज्यादा जिन अंग्रेजो ने भारत पर राज किया। अब उन्हीं अंग्रेजो के देश ब्रिटेन में अगला प्रधानमंत्री एक भारतीय बनने जा रहा है। अगर देखा जाये तो ब्रिटेन में ऋषि सुनक का प्रधानमंत्री बनना, भारतीय मूल और भारत के लोगों के लिए दिवाली का सबसे बड़ा तोहफा है। ब्रिटेन में 1 साल के अंदर ऋषि सुनक तीसरे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं। बात करें शिक्षा और विवाह की तो ऋषि सुनक की प्रारंभिक शिक्षा यूनाइटेड किंगडम के विंचैस्टर कॉलेज में हुई। यहां से शिक्षा पूरी करने के बाद, वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी चले गए। यहां पर उन्होंने पॉलिटिक्स, इकोनॉमिक्स व फिलॉसफी पढ़ाई की। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद। ऋषि स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (यूएसए) में फुलब्राइट स्कॉलर भी थे, जहां उन्होंने एमबीए की पढ़ाई की। अक्षता मूर्ति से ऋषि की मुलाकात स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई। ऋषि और अक्षता एक-दूसरे को पसंद करने लगे। अक्षता मूर्ति, नारायण मूर्ति की बेटी हैं। नारायण मूर्ति Infosys के फाउंडर व चेयरमैन है। बेंगलुरु में ऋषि और अक्षता ने अगस्त 2009 में शादी कर ली। अक्षता अपने पिता की एक निवेश फर्म ‘कटमरेंन वेंचर्स’ की निदेशक हैं। अक्षता अपना खुद का एक फैशन ब्रांड भी चलाती हैं। उनकी गिनती ब्रिटेन की धनी महिलाओं में की जाती है। ऋषि और अक्षता की दो बेटियां हैं, जिनके नाम अनुष्का सुनक व कृष्णा सुनक है।
अब बात करते हैं ब्रिटेन के पार्लियामेंट्री सिस्टम की। भारत और ब्रिटेन का पार्लियामेंट्री सिस्टम आपस में काफी मिलता-जुलता है। ब्रिटेन में उप्पर हॉउस को हॉउस ऑफ़ लॉर्ड्स बोला जाता है। जिसमें 793 सीटें है। यहां पर लोअर हॉउस को हॉउस ऑफ़ कॉमन्स कहा जाता है। यहां पर डायरेक्ट इलेकशन होते हैं। इसमें कुल 650 सीटें हैं। ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी और लेबर पार्टी ही दो प्रमुख पार्टियां हैं। ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी का गठन साल 1834 में हुआ था। लेबर पार्टी का गठन साल 1900 में हुआ था। लेबर पार्टी ने ही भारत को आजादी दी थी। कंजर्वेटिव पार्टी 2010 से बोरिस जॉनसन प्रधानमंत्री पद पर थे। बोरिस जॉनसन शुरू से बोल रहे हैं कि ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से बाहर हो जाना चाहिए। इस समय ब्रिटेन में आर्थिक संकट बढ़ता ही जा रहा है। बैंक ऑफ इंग्लैंड का अनुमान है कि इस साल इंफ्लेशन 11 प्रतिशत के ऊपर जा सकती है। ऋषि सुनक इससे पहले बोरिस जॉनसन सरकार में वित्त मंत्री रह चुके हैं। उनके मंत्री रहते ब्रिटेन में महंगाई 40 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। जिसके चलते ब्रिटेन में टैक्स भी बढ़ाए गए थे। जॉनसन मंत्रिमंडल से इस्तीफा देते हुए सुनक ने लिखा था कि कम टैक्स रेट और ऊंची ग्रोथ रेट वाली इकॉनमी तभी बनाई जा सकती है, जब ‘हम कड़ी मेहनत करने, कुर्बानियां देने और कड़े फैसले करने को तैयार हों। मेरा मानना है कि जनता सच सुनने को तैयार है। पब्लिक को यह बताया जाना चाहिए कि बेहतरी का रास्ता है, लेकिन यह आसान नहीं है।‘ अब ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री बनते ही ब्रिटेन को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। जिसकी वह बात करते आ रहे हैं। ऋषि सुनक का ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनना इस मायने में भी बेहद अहम बात है कि ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोग अल्पसंख्यक हैं। इसके बावजूद ऋषि सुनक को ब्रिटेन में पीएम बनने का मौका मिल गया है। दूसरी तरफ इतिहास में देखा जाये तो जिस कंजर्वेटिव पार्टी ने ऋषि सुनक को अपना नेता चुना है। उसका कभी भी प्रवासी लोगों के प्रति उदारता वाला रुख नहीं रहा है।