आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक है सड़क दुर्घटनाये
हर साल 1.5 लाख लोग मारे जाते हैं
यहाँ आज के आधुनिक युग में भारत देश शहरों की सड़कों को नई तकनीक से बनाया जा रहा हैं। नये नये हाईटैक हाईवे पुल बनाये जा रहे हैं। देश के लोगों के पास नयी तकनीक की गाड़ियां आ गई हैं। सड़क पर दौड़ने वाली गाड़ियों में सेफटी बैग लगे हैं। कई तरफ के सेंसर भी नयी गाड़ियों में आ रहे हैं। इस सब के बावजूद भारत देश में सड़क दुर्घटनाये कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। दिन शुरू होते ही सड़क दुर्धटनाओं की खबरें पढ़ने को मिल जाती हैं। कई सड़क दुर्घटनाये तो इतनी भंयकर होती है जिनमें एक ही परिवार के सभी सदस्य मारे जाते हैं। दुर्धटना में गाड़ियां इतनी ज्यादा क्षतिग्रस्त हो जाट है लोगो को बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता हैं। देश में अगर 2000 से 2022 तक की सड़क दुर्धटनाओं को देखा जाये तो आंकड़े बताते हैं की हर साल औसतन 1.5 लाख लोग सड़क दुर्धटनाओं में मारे जाते हैं। दूसरी तरफ भारत देश में 2000 से 2022 तक करीब 4,147 आतंकी हमलें हुये। इन हमलों में 21 हजार के करीब लोग मारे गये। अब अगर आतंकी हमलों और सड़क दुर्धटनाओं की तुलना करे तो देश में होने वाली सड़क दुर्धटनायें भी कम खतरनाक नहीं हैं। देश में होने वाली सड़क दुर्धटनाओं को रोकने के लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को सख्त कानून बनाये जाने की जरूरत हैं। इसी के साथ जनता को जागरूक होना पड़ेगा। सड़क पर गाड़ी चलाने वाले हर व्यक्ति को अपनी और सड़क पर चलने वाले दूसरे व्यक्ति की जान को महत्व देना होगा।
भारत देश में हर एक मिनट और हर एक घंटे में होने वाली सड़क दुर्धटनाओं के पीछे कई कारण हैं। इनमें अनाड़ी ड्राइवर भी होने वाली सड़क दुर्धटनाओं में मुख्य कारण हैं। उसी तरह देश ले अलग अलग राज्यों के ट्रांसपोर्ट विभागों में भर्ष्टाचारी अधिकारी भी बहुत बड़ा कारण हैं। जब तक ट्रांसपोर्ट व अन्य संबधित विभागों को जबावदेही नहीं बनाया जाता तब तक हमारे देश में सड़क दुर्धटनायें कम होना मुश्किल लगता हैं। राज्यों की ट्रैफिक पुलिस को भी अनाड़ी ड्राइवर और अन्य लोग जो नियमों की पालना नहीं करते उन पर कारवाई करनी चाहिये।
दिल्ली शहर में 2017 के एक सर्वे में 26 प्रतिशत लोगों ने माना की देश में बिना रिश्वत दिये ड्राईविंग लाइसेंस बन ही नहीं सकता। रिश्वत देकर ड्राईविंग लाइसेंस बनाने वालों में 18 प्रतिशत लोग वह होते हैं, जिनका मकसद लाइसेंस हासिल कर ड्राइवर की नौकरी करना ही होता हैं। ये लोग बिना ड्राईविंग की ट्रैनिग लिए विभाग से ड्राईविंग लाइसेंस भी बना लेते हैं और फिर नियमों की बिना परवाह किये सड़कों पर गाड़ी चलाते हैं। सर्वे से पता चलता हैं कि देश में हर घंटे 17 लोग की सड़क दुर्धटनाओं में जान चली जाती हैं। इससे कहीं ज्यादा लोग घायल हो जाते हैं। देश में ओवर स्पीड भी ऐसी भयानक सड़क दुर्धटनाओं का कारण हैं। हर साल 60 प्रतिशत सड़क दुर्धटनायें सिर्फ ओवर स्पीड से ही होती हैं। देश में नशा कर गाड़ी चलाने वालों की भी कोई कमी नहीं हैं। एक स्टडी में पाया गया हैं कि कमर्शिल वाहनों के हर 100 में से 22 ड्राइवर शराब पी कर सड़कों पर गाड़ी चलाते हैं। या कुछ ड्राइवर अन्य किसी नशे का प्रयोग करते हैं। इस सब के पीछे कमजोर सरकारी सिस्टम हैं। अगर देश में सड़कों पर नियमों की अनदेखी करने वालों के साथ सरकारी सिस्टम सख्ती से पेश आये तो ही हालात में सुधार हो सकता हैं। इस के लिए सरकारी सिस्टम भर्ष्टाचार से मुक्त होना जरुरी हैं। गाड़ी चलते हुये नियमों की धज्जियां उड़ने वालों को ट्रैफिक पुलिस कर्मी रिश्वत लेकर छोड़ देते हैं। ओवर लोडिंग कर चलाने वाले कमर्शिल वाहनों के ड्राइवर हर शहर के चौंक पर ट्रैफिक कंट्रोल करने वाले तैनात पुलिस कर्मियों को रिश्वत देकर आराम से सड़क पर चलते रहते हैं। कमर्शिल वाहनों में कई कई फुट लंबे लोहे के सरिये लाद दिए जाते हैं। रिश्वतखोरी के कारण बिना किसी रोकटोक के यह कमर्शिल वाहन कई फुट लंबे लोहे के सरियों के साथ एक शहर से दूसरे शहर सड़कों पर दौड़ते रहते हैं। वाहनों से बाहर लटक रहे ये लोहे के सरिये बड़ी सड़क दुर्धटनाओं का कारण बनते हैं। अगर नियमों को देखा जाये तो ऐसे कमर्शिल वाहन इतने लंबे लोहे के सरियों के साथ सड़क पर उतर ही नहीं सकते। लेकिन भर्ष्टाचारी हो चुके सरकारी अधिकारी रिश्वत लेकर ऐसे वाहनों को सड़क पर चलने देते हैं। यही कमर्शिल वाहन यमराज बन कर सड़क पर चलने वाले लोगों की जान ले लेते हैं।
भारत देश के हर राज्यों को सड़कों पर गाड़ी चलाने को लेकर सख्त से सख्त कानून बनाना चाहिये ताकि ऐसी सड़क दुर्धटनाओं को रोका जा सके। इसी के साथ जिस इलाके में सड़क दुर्धटना होती हैं, उसकी जाँच कर संबधित सरकारी अधिकारी की जबावदेही तय होनी चाहिये। अगर कोई अधिकारी के कार्य में कमी पायी जाती हैं तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिये। आतंकी गोली मार कर आम लोगों की जान लेते हैं, लेकिन अनाड़ी ड्राइवर गाड़ी की ड्राइवर सीट पर बैठे लोगों की सड़क पर जान ले रहे हैं। बड़े शहर हो या छोटे शहर हर कहीं अनाड़ी ड्राइवर सड़कों पर गाड़ी दौड़ते मिल जायेंगे। आज हालात यह हैं कि आम शहरी लोगों को सड़क पर जाने से भी डर लगता हैं।