बिहार में नई सरकार बनते ही पत्रकार की गोलियां मार कर ह्त्या
सुरक्षित नहीं है पत्रकार, बिहार में ‘जंगलराज’ की वापिसी
देश में अब पत्रकारिता करना सुरक्षित नहीं है। लोकतंत्र का चौथा स्तंम्भ माने जाने वाली पत्रकारिता को खून से नहलाया जा रहा है। पैसो की इस दौड़ में हर क्षेत्र में माफिया राज घुस चुका है। पहले दौर में एक-दो क्षेत्र ही ऐसे थे जिन माफिया के लोगों का नेटवर्क दिखाई देता था। अब हालात यह है कि माफिया के इतने चेहरे हो गए है, पत्रकारिता में जुड़े लोगों को हर समय एक अजीब से खौफ में काम करना पड़ता है।
जिस तरह बिना किसी डर के सरेआम पत्रकार को मार दिया जाता है। इस सब को देख एक पत्रकार अपने दिलों दिमाग में कई तरह के सवाल लिए समाज के प्रति अपने फर्ज को निभा रहा है। ऐसे माहौल में एक पत्रकार के जहन में सवाल आना स्वाभिक है। आये दिन सरेआम दिन दिहाड़े माफिया के लोग पत्रकार को गोलियां मार देते है। लोकतंत्र के चौथे स्तंम्भ के रूप में पहचान रखने वाला पत्रकार और परिवार असुरक्षित महसूस कर रहा है। इस सबको झेलते हुए पत्रकार देश और समाज में अपना फर्ज निभाते हुए काम करते जा रहा है।
आज के आधुनिक युग में यहाँ हर जगह टेक्नोलॉजी का यूज हो रहा है। इसका फायदा माफिया ने भी खूब उठाया है जो आमतौर पर दिखाई दे रहा है। आज माफिया ने अपना नेटवर्क इतना बढ़ा लिया है, हर जगह माफिया राज का बोलबाला है। देश में ऐसे समाचार प्रकाशित होते रहते है माफिया के लोग सरेआम पत्रकार की हत्या कर दी जाती है।
अभी हाल ही में बिहार में नए गठबंधन से नई सरकार का आगमन हुआ है। नई सरकार के बनते ही 24 घंटो में हत्या और बलात्कार की घटनाएं शुरू हो गई। बिहार के जमुई इलाके में दिनदहाड़े अखबार के पत्रकार गोखुल यादव की बदमाशों ने गोलियां मार हत्या कर दी। बाइक सवार बदमाशों ने पत्रकार को घर से एक किलोमीटर की दूरी पर गोली मारी। घर से 1 किलोमीटर की दूरी पर दो बाइक पर सवार पांच की संख्या में आये बदमाशों ने गोकुल यादव के शरीर मे पांच गोलियां मारी। गोली लगने से गोकुल यादव पत्रकार की मौके पर ही मौत हो गई।
इसी तरह बिहार के बेगूसराय इलाके में 20 मई की रात सुभाष कुमार महतो नामक पत्रकार को भी उनके घर के पास चार हमलावरों ने सिर में गोली मार हत्या कर दी गई। हमलावर बाद में मौके से फरार हो गये। उनके परिवार का दावा है कि पत्रकार सुभाष कुमार महतो की हत्या शराब और रेत माफियाओं पर उनकी व्यापक रिपोर्टिंग व हठधर्मिता के कारण की गई थी। बेगूसराय जिले के बखरी थाना क्षेत्र के साखो गांव में 20 मई को सुभाष कुमार महतो की अपने दोस्त की शादी से घर लौटते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
बिहार के ही बुद्धिनाथ झा पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता की अवैध क्लीनिक का पर्दाफाश करने के चलते हत्या कर दी गई। पत्रकार बुद्धिनाथ झा 9 नवंबर की रात घर से निकले थे और लापता हो गए थे। शुक्रवार की रात उनका जला हुआ शव मिला। पत्रकार बुद्धिनाथ झा ने अपने इलाके में चल रहे अवैध मेडिकल क्लीनिकों का ‘उजागर’ किया था। पत्रकार का शव बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी गांव से पांच किलोमीटर दूर पाया गया। बुद्धनाथ झा को अपने आस पास के इलाके में अविनाश झा के नाम से भी जाना जाता था। पत्रकार बुद्धिनाथ झा एक स्थानीय हिंदी समाचार पोर्टल, बीएनएन न्यूज बेनीपट्टी के साथ काम कर रहे थे। परिवार के मुताबिक उनकी हत्या के पीछे मेडिकल माफिया की भूमिका पर संदेह है, क्योंकि पत्रकार और पारदर्शिता कार्यकर्ता झा ने अवैध क्लीनिकों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसके परिणामस्वरूप कुछ अवैध क्लीनिकों को बंद कर दिया गया और दूसरों कुछ के खिलाफ जुर्माना लगाया गया।
10 अगस्त 2021 को बिहार पुलिस ने सुदर्शन टीवी के पत्रकार मनीष कुमार सिंह का शव बरामद किया, जो तीन दिनों से लापता थे। बिहार के हरसिद्धि थाना क्षेत्र के मथलोहियार गांव के गाछी टोला चेवार में पत्रकार मनीष कुमार का शव पानी से बरामद किया गया था। पत्रकार मनीष कुमार सिंह को काफी समय से मारने की धमकियां मिल रही थी। यह भी पता चला है कि सुदर्शन टीवी के सीएमडी सुरेश चव्हाणके ने एक ट्वीट में लिखा था कि 3 दिन पहले हुआ था अपहरण, हत्या की संभावना की शिकायत देने के बाद भी बिहार पुलिस ने कुछ नहीं किया।
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