ड्रग के सेवन से लाखों बच्चे और युवा प्रभावित
Drug use affects millions of children and youth
पिछले कुछ दशकों में, ड्रग के सेवन से लाखों बच्चे और युवा प्रभावित हुए हैं जो देश में सबसे बड़ी समस्या बन गई है। भारत में कुछ राज्य और शहर ऐसे हैं जो नशीले पदार्थों की खपत में अग्रणी रहे हैं। भारत के उत्तरी भाग में पंजाब बहुत लंबे समय से ड्रग जैसी महामारी का सामना कर रहा है, हालांकि यह देश के सबसे विकसित राज्यों में से एक माना जाता है। यहाँ तक कि ड्रग्स के मामले में हमारी राष्ट्रीय राजधानी पीछे नहीं है। मिजोरम, मणिपुर, गोवा और मुंबई जैसे अन्य राज्य भी ड्रग्स की समस्याओं से प्रभावित हैं। हाल ही में, भारत सरकार ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग के आँकलन के लिए राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण करने के लिए मंजूरी दे दी है।
ड्रग समस्याः पंजाब में सरकार का सर्वेक्षण
2015 में पंजाब के ऑपियॉइड/ड्रग्स आश्रित व्यक्तियों की संख्या जानने के लिए भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (एमओएसजेई) ने एक अध्ययन शुरू किया था। यह सर्वेक्षण सोसायटी फॉर प्रोमोशन ऑफ यूथ एंड मास (एसपीवायएम) और नेशनल ड्रग्स डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (एनडीडीटीसी), एम्स, नई दिल्ली से शोधकर्ताओं की एक टीम ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सहयोग से पंजाब सरकार द्वारा आयोजित किया था।
भटिंडा, फिरोजपुर, जालंधर, कपूरथला, गुरदासपुर, होशियारपुर, पटियाला, संगरिया, मोगा और तरन तारन इन जिलों को अध्यन में शामिल किया गया है।
सर्वेक्षण में कुछ दिलचस्प तथ्यों का पालन किया गया है जो इस प्रकार हैं –
- पंजाब में ड्रग उपभोक्ताओं की कुल संख्या 2,32,856 है।
- नशीली दवाओं का सेवन करने वाले 89% साक्षर और शिक्षित हैं।
- पंजाब में नशीली दवाओं का सेवन करने वाले 83% नशेड़ी नौकरियाँ कर रहे हैं।
- पंजाब में नशे की लत में लगभग सभी (99%) पुरुष शामिल हैं।
- पंजाब के आधे नशेड़ी 56% गाँव से हैं।
- सबसे अधिक हेरोइन (चित्ता) ड्रग्स का सेवन किया जाता है, सर्वेक्षण में 53% ड्रग नशेड़ियों का यह दावा किया गया है।
- पंजाब में, नशेड़ियों द्वारा हेरोइन पर औसतन 1,400 रूपये प्रति दिन खर्च होता है। अफीम उपयोगकर्ता प्रतिदिन 340 रुपये खर्च करते हैं और फार्मास्युटिकल ऑपियॉइड उपयोगकर्ताओं ने 265 रुपये प्रतिदिन खर्च किए हैं।
राज्य में ड्रग्स समस्या के कारक
- नकद (लाभ) फसलों पर अधिक निर्भरता के कारण कृषि संकट
- नौकरी के अवसरों की कमी
- नशीले पदार्थों की आसान उपलब्धता
- ड्रग्स संगठनों, संगठित आपराधिक गिरोहों, राजनेताओं और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के धोखेबाज तत्वों के बीच संबंध।
राज्य में ड्रग्स की समस्या से निपटने के लिए सरकार द्वारा किये गए प्रयास
मुख्यमंत्री कप्तान अमरिंदर सिंह ने चुनाव के बाद राज्य में ड्रग्स की समस्या के खिलाफ एक कड़ी कार्यवाई का फैसला किया। उन्होंने निम्न प्राथमिक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया हैं:
- ड्रग आपूर्ति को कम करने के लिए एसटीई में ड्रग गिरोह को अपना लक्ष्य बनाया
- नशा-मुक्ति केंद्रों की वर्तमान स्थितियों में सुधार करने के लिए ” आउट पेशेंट मरीजों की नशे की लत कम करने के उपचार में सहायता करना”
- ड्रग की मांग को कम करने के लिए नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर जन जागरूकता पैदा करना।
ड्रग समस्याः दिल्ली में सरकार का सर्वेक्षण
राष्ट्रीय राजधानी में ड्रग्स की समस्या पर सरकार द्वारा किए गए एक हालिया सर्वेक्षण में, यह पाया गया कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग से 9 साल के बच्चों के रूप में युवाओं को प्रभावित किया गया है। दिल्ली के प्रत्येक मुहल्लों के बच्चों पर पहली बार यह एक बड़ा सरकारी सर्वेक्षण किया गया था। सर्वेक्षण दिल्ली सरकार की महिला और बाल विकास विभाग ने एम्स में एनडीडीटीसी के सहयोग से किया था।
सर्वेक्षण में कुछ दिलचस्प तथ्यों का पालन किया गया है जो इस प्रकार हैं –
- कई मोहल्लों के लगभग 70,000 बच्चे ड्रग के किसी भी रूप में उपभोग के आदी हैं।
- लगभग 20,000 बच्चे तंबाकू का उपभोग कर रहे हैं।
- लगभग 10,000 बच्चे शराब का सेवन कर रहे हैं।
- लगभग 7,000 बच्चे सिगरेट या बीड़ी के उपभोक्ता हैं।
- लगभग 5,600 बच्चे भांग का सेवन कर रहे हैं।
- लगभग 800 युवा हेरोइन का सेवन कर रहे हैं।
- कुछ ऐसे भी हैं जो फार्मास्यूटिकल ऑपिओइड और दर्दनाशक दवाओं के आदी हैं।
सर्वेक्षण में अजीब तथ्य यह था कि 9 से 10 साल के आयु वर्ग के बच्चों ने तंबाकू का सेवन शुरू कर दिया है, जबकि हेरोइन या अफीम की आदतें 12-13 साल की उम्र में शुरू हो गई हैं।
कुछ प्रमुख कारण
सर्वेक्षण में, गली के बच्चों से पता चला कि वे विभिन्न कारणों से ड्रग्स का सेवन कर रहे थे। कुछ ने कहा, कि उनके सहकर्मियों द्वारा उन पर दबाव बनाया गया था। कुछ ने कहा, कि वे ड्रग्स के बाद के प्रभाव का अनुभव करने के लिए उत्सुक थे, जबकि कुछ ने कहा, कि उन्हें भूख, ठंड और गरीबी से बचने के लिए ड्रग्स का सहारा लेना पड़ा। इनमें से 60% से अधिक बच्चे अपने परिवार या रिश्तेदारों के साथ रह रहे थे। उनमें से लगभग 15-20% गली-कूचों के बच्चे अपने परिवार के समर्थन में नशा करते थे, उनमें से सिर्फ मुट्ठीभर (लगभग 10%) स्कूली बच्चे नशे के आदी थे, सर्वेक्षण में पता चला कि कुछ बच्चों ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण स्कूल छोड़ दिया था।
सारांश
यह पता लगाना बहुत कठिन है कि समस्या कितनी व्यापक है। पंजाब और दिल्ली में ही नहीं बल्कि भारत के कई हिस्सों में भी स्थिति गंभीर है। दिल्ली सरकार अब छह अस्पतालों में नशा-मुक्ति केंद्र बनाने की योजना बना रही है। पंजाब सर्वेक्षण में, यह पता चला कि 80% से अधिक ने ड्रग्स को छोड़ने का प्रयास किया है लेकिन वास्तव में उनमें से लगभग 30% लोग सहायता या उपचार प्राप्त कर चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रग्स से प्रभावित लाखों लोगों तक स्वास्थ्य और कल्याणकारी योजनाएं नहीं पहुँच पाती हैं।
Source This Article : https://hindi.mapsofindia.com/my-india/government/drug-problem-the-governments-survey-in-punjab-and-delhi